क्या लखनऊ में आरक्षण और भर्ती भ्रष्टाचार पर सपा का हंगामा सही था?
सारांश
Key Takeaways
- सपा का हंगामा आरक्षण और भर्ती भ्रष्टाचार पर केंद्रित था।
- केशव प्रसाद मौर्य ने आरोपों का खंडन किया।
- सदन की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई।
- सपा ने अंततः वॉकआउट किया।
- यह मुद्दा उत्तर प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण है।
लखनऊ, 24 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश विधान परिषद में मंगलवार को सरकारी नौकरियों में आरक्षण के नियमों के कथित उल्लंघन और भर्तियों में भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई। समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्यों ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए जोरदार हंगामा किया, जिसके बाद सदन की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई।
अंततः सपा सदस्यों ने विरोध स्वरूप सदन से वॉकआउट कर दिया। हंगामे के बीच नेता सदन एवं उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि संविधान द्वारा प्रदत्त आरक्षण का अधिकार कोई छीन नहीं सकता। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार में आरक्षण का पूरी तरह पालन किया जा रहा है और जितनी भी भर्तियां हो रही हैं, उनमें हर पद पर आरक्षित वर्ग को उनका अधिकार मिल रहा है।
केशव मौर्य ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों में प्रतिभाशाली अभ्यर्थियों को रोना पड़ता था, जबकि अब बिना रिश्वत और केवल योग्यता के आधार पर भर्तियां हो रही हैं। इस दौरान सदन में स्थिति और तनावपूर्ण हो गई जब सभापति कुंवर मानवेन्द्र सिंह ने नेता प्रतिपक्ष को सदन त्यागने का निर्देश दिया।
पीठ के निर्देश का पालन न होने पर गतिरोध उत्पन्न हो गया। बाद में नेता प्रतिपक्ष ने सदन त्याग किया और पुनः लौटकर पीठ के प्रति खेद भी प्रकट किया।
शून्य प्रहर के दौरान शिक्षक दल के सदस्य ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर शासनादेश 28 जून 2024 के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए औचित्य की सूचना दी। उन्होंने कहा कि आठ माह बीतने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस पर सभापति ने मामले को गंभीर मानते हुए सरकार को एक माह के भीतर निस्तारण के निर्देश दिए।
नेता सदन ने भरोसा दिलाया कि बैठक कर जल्द समाधान कराया जाएगा। भाजपा सदस्य विजय बहादुर पाठक ने नियम 111 के तहत आयुष और स्वास्थ्य विभाग के बीच फंसे लगभग 900 चिकित्सकों की पदोन्नति का मुद्दा उठाया।
उन्होंने कहा कि विभागीय गतिरोध के कारण चिकित्सकों को न पदोन्नति मिल पा रही है और न ही प्रोन्नत वेतनमान का लाभ, जिससे उनमें भारी आक्रोश है।
शून्य प्रहर में ही सपा के लाल बिहारी यादव, राजेंद्र चौधरी, डॉ. मान सिंह यादव सहित अन्य सदस्यों ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग पर आरक्षण नियमों के उल्लंघन और भर्तियों में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कार्य स्थगन प्रस्ताव रखा।
सदस्यों ने कहा कि यह मुद्दा बेरोजगार युवाओं से जुड़ा है और सरकार की कथनी व करनी में अंतर है। जवाब में केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सरकार का संकल्प है कि संविधान में प्रदत्त आरक्षण को धरातल पर पूरी ईमानदारी से लागू किया जाए।
उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती सपा सरकार में नकल माफिया सक्रिय थे, जिन्हें मौजूदा सरकार ने समाप्त किया है।
उन्होंने दोहराया कि सरकारी और आउटसोर्सिंग दोनों तरह की भर्तियों में आरक्षण का पूरा पालन किया जाएगा। तेज शोर-शराबे और नारेबाजी के बीच जब स्थिति नियंत्रण से बाहर होती दिखी, तो सभापति के निर्देश के बावजूद असंतुष्ट सपा सदस्य वेल में आ गए और अंततः सदन से वाकआउट कर दिया।
-- राष्ट्र प्रेस
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