क्या मध्य प्रदेश में कांवड़ यात्रा के मद्देनजर उज्जैन और ओंकारेश्वर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं?

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क्या मध्य प्रदेश में कांवड़ यात्रा के मद्देनजर उज्जैन और ओंकारेश्वर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं?

सारांश

मध्य प्रदेश के इंदौर और उज्जैन में श्रावण मास की शुरुआत के साथ कांवड़ यात्रा को लेकर व्यापक तैयारियां की गई हैं। भक्त मां नर्मदा का जल लेकर यात्रा कर रहे हैं। प्रशासन ने सुरक्षा और यातायात व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए कई इंतजाम किए हैं।

Key Takeaways

  • श्रावण मास में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है।
  • भक्तों की सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं।
  • कांवड़ यात्री 200 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हैं।
  • यातायात व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए पुलिस बल की तैनाती की गई है।
  • इस यात्रा में भक्त मां नर्मदा का जल लेकर जाते हैं।

इंदौर, 11 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय संस्कृति में श्रावण मास का अद्वितीय महत्व है। शुक्रवार से इस पवित्र महीने की शुरुआत हुई है। इस अवसर पर मध्य प्रदेश के इंदौर और उज्जैन में भगवान शिव की भक्ति में लीन सैकड़ों कांवड़ यात्रियों ने अपनी यात्रा आरंभ कर दी है।

उज्जैन में श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग और ओंकारेश्वर में श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए भक्त मां नर्मदा का जल लेकर पैदल यात्रा कर रहे हैं। इस दौरान प्रशासन ने सुरक्षा और यातायात व्यवस्था के विस्तृत इंतजाम किए हैं। श्रावण मास में कांवड़ यात्रियों की भारी भीड़ को देखते हुए इंदौर और उज्जैन में विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं।

कांवड़ यात्री मां नर्मदा का जल लेकर लगभग 200 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में जल अर्पित करते हैं। यह यात्रा इंदौर से होकर गुजरती है, जिसके लिए प्रशासन ने रूट चिह्नित किए हैं और भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित किया है। खासकर सोमवार को प्राचीन मंदिरों में दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ को देख विशेष यातायात व्यवस्था लागू की जाएगी, ताकि भक्तों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

इंदौर के डीसीपी (यातायात) अरविंद तिवारी ने बताया, “श्रावण मास शुरू हो गया है और कांवड़ यात्री पैदल यात्रा कर उज्जैन पहुंच रहे हैं। हमने सभी महत्वपूर्ण मार्गों पर यातायात व्यवस्था सुनिश्चित की है। संबंधित थानों के पुलिस बल को तैनात किया गया है ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। भीड़ के आधार पर डायवर्जन और ट्रैफिक नियंत्रण की योजना बनाई जाती है। पिछले वर्षों की तरह इस बार भी व्यवस्थाएं सुचारू रहेंगी, ताकि यात्रियों को कोई समस्या न हो। सावन के इस पवित्र महीने में कांवड़ यात्रियों का उत्साह चरम पर है और हमारी कोशिश कांवड़ यात्रा को सफल बनाना है।”

बीजेपी विधायक मालिनी गौड़ ने कहा, “सावन भगवान शिव का महीना है। इस दौरान भक्त मां नर्मदा का जल लेकर उज्जैन में श्री महाकालेश्वर का अभिषेक करने पहुंचते हैं। प्रशासन को कांवड़ यात्रियों की जरूरतों का ध्यान रखना चाहिए। जिन जगहों से कांवड़ यात्रा निकालेगी, उस मार्ग में पड़ने वाली दुकानों के संचालकों की ओर से नाम से संबंधित बोर्ड लगाया जाना चाहिए। यदि इस दौरान किसी व्यक्ति ने गलत नाम का बोर्ड लगाया हो तो उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होना चाहिए।”

Point of View

जो भक्तों की आस्था को दर्शाता है। प्रशासन द्वारा की जा रही तैयारियों से स्पष्ट है कि धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा और व्यवस्था को प्राथमिकता दी जाती है। यह एक सकारात्मक कदम है जो श्रद्धालुओं की भक्ति को और बढ़ाता है।
NationPress
05/09/2025

Frequently Asked Questions

कांवड़ यात्रा कब शुरू होती है?
कांवड़ यात्रा श्रावण मास में शुरू होती है, जो इस साल 11 जुलाई से आरंभ हुई है।
कांवड़ यात्रा में कितनी दूरी तय की जाती है?
कांवड़ यात्री लगभग 200 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं।
सुरक्षा व्यवस्था के लिए क्या इंतजाम किए गए हैं?
प्रशासन ने सुरक्षा और यातायात व्यवस्था के लिए पुलिस बल को तैनात किया है और महत्वपूर्ण मार्गों पर यातायात नियंत्रण किया गया है।
कौन-कौन से स्थानों पर कांवड़ यात्रा होती है?
कांवड़ यात्रा मुख्य रूप से उज्जैन और ओंकारेश्वर में होती है।
कांवड़ यात्रा के दौरान भक्त क्या लेकर जाते हैं?
भक्त मां नर्मदा का जल लेकर जाते हैं और इसे महाकालेश्वर मंदिर में अर्पित करते हैं।