क्या महाराष्ट्र में बाढ़ से परेशान किसानों को तत्काल राहत की जरूरत नहीं है? : अमोल कोल्हे

सारांश
Key Takeaways
- किसानों को तत्काल राहत की जरूरत है।
- बाढ़ ने फसलों को भारी नुकसान पहुँचाया है।
- राज्य और केंद्र सरकारों को मिलकर काम करना होगा।
- पंजाब के मुकाबले महाराष्ट्र में सहायता राशि बेहद कम है।
- बुनियादी ढांचे की बहाली की आवश्यकता है।
पुणे, 29 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में बाढ़ की गंभीर स्थिति ने किसानों की समस्याओं को और बढ़ा दिया है। एनसीपी (एसपी) सांसद अमोल कोल्हे ने केंद्र सरकार से किसानों के लिए तत्काल और प्रभावी राहत की मांग की है।
उन्होंने कहा कि बाढ़ के चलते किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है और वे केंद्र से प्रभावी मदद की अपेक्षा कर रहे हैं। राहत कार्यों में कोई भी देरी नहीं होनी चाहिए और किसानों को शीघ्र सहायता मिलनी चाहिए, ताकि वे अपने जीवन और कृषि को पुनः स्थापित कर सकें।
कोल्हे ने यह भी बताया कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बाढ़ प्रभावित किसानों की सहायता के लिए गुहार लगाई है। हमें विश्वास है कि केंद्र सरकार महाराष्ट्र के किसानों के लिए ठोस कदम उठाएगी। किसानों के हित देश की अर्थव्यवस्था का आधार हैं और उनकी अनदेखी नहीं की जा सकती। केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर इस संकट का सामना करने के लिए एक ठोस योजना बनानी होगी।
उन्होंने उदाहरण दिया कि पंजाब में बाढ़ प्रभावित किसानों को प्रति हेक्टेयर 50,000 रुपए की सहायता दी गई, जबकि महाराष्ट्र में किसानों को केवल 3,500 रुपए की पहली किस्त प्राप्त हुई है, जो कि अत्यंत अपर्याप्त है। मैं केंद्र सरकार से इस राशि को बढ़ाने और एक प्रभावी राहत पैकेज की घोषणा करने की अपील करता हूं।
सांसद अमोल कोल्हे ने कहा कि बाढ़ ने महाराष्ट्र के कई जिलों में फसलों को गंभीर नुकसान पहुंचाया है, जिससे किसानों की आजीविका संकट में है। मैं केंद्र और राज्य सरकार से संयुक्त रूप से राहत कार्यों को तेज करने और किसानों को बीज, खाद, एवं आर्थिक सहायता प्रदान करने की अपील करता हूं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की बहाली और किसानों को दीर्घकालिक समाधान प्रदान करने की आवश्यकता है।
इसके अलावा, अमोल कोल्हे ने भारतीय क्रिकेट टीम के एशिया कप-2025 के खिताब जीतने के बाद मोहसिन नकवी से ट्रॉफी न लेने के निर्णय की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह निर्णय खिलाड़ियों के जज्बे को दर्शाता है। ट्रॉफी देने वालों पर पहलगाम हमले से जुड़े होने के कारण खिलाड़ियों ने यह कदम उठाया, जो कि सराहनीय है। मैं भारतीय खिलाड़ियों के इस साहसिक और नैतिक निर्णय की प्रशंसा करता हूं। यह न केवल उनका सम्मान बढ़ाता है, बल्कि देश के लिए भी गर्व का क्षण है।