क्या महाराष्ट्र में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी अनिवार्य हो गई है?

सारांश
Key Takeaways
- महाराष्ट्र में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी अनिवार्य होगी।
- 20 छात्र होने पर अन्य भाषा पढ़ाने की अनुमति।
- आदेश डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित है।
- मराठी अनिवार्य भाषा है।
- अंग्रेजी और अन्य माध्यम में भी लागू होगा।
मुंबई, 18 जून (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में भाषा विवाद के बीच राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब कक्षा 1 से 5 तक के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को अनिवार्य किया जाएगा। बुधवार को महाराष्ट्र सरकार ने आधिकारिक आदेश जारी किया है।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में सामान्य अध्ययन के लिए लागू किया जाएगा। आदेश में कहा गया है, "सभी माध्यमों के स्कूलों में मराठी अनिवार्य भाषा होगी। इस कार्यान्वयन के लिए सभी व्यवस्थाएं शिक्षा विभाग के द्वारा की जाएंगी। कक्षा 1 से 5 तक के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में अब से हिंदी तीसरी भाषा होगी।"
हालांकि, यदि छात्र हिंदी के बजाय किसी अन्य भारतीय भाषा को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाने की इच्छा रखते हैं, तो उन्हें उस भाषा को पढ़ाने की अनुमति दी जाएगी। लेकिन इसके लिए कक्षा में कम से कम 20 छात्र होना आवश्यक है। यदि 20 से कम छात्र हैं, तो उस भाषा को ऑनलाइन पढ़ाया जाएगा।
आदेश में यह भी कहा गया है, "राज्य स्तर पर इसे तुरंत लागू किया जाएगा। मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में, अन्य माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 के लिए तीन भाषाओं, अर्थात् माध्यम भाषा, मराठी और अंग्रेजी का अध्ययन किया जाएगा।"
कक्षा 6 से 10 के लिए भाषा नीति राज्य पाठ्यक्रम रूपरेखा के अनुसार होगी।
राज्य सरकार ने अपने आदेश में यह भी उल्लेख किया है कि कक्षा 6 से 10 के लिए भाषा नीति राज्य पाठ्यक्रम योजना के अनुसार होगी। सरकार ने अपना आदेश सरकारी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है, जिसका कोड नंबर 202506172233593421 है। आदेश में कहा गया है कि सरकारी शुद्धिपत्र डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित करके जारी किया जा रहा है।