क्या महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली पर मनाया गया योग दिवस?

सारांश
Key Takeaways
- महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली पर योगाभ्यास का आयोजन
- स्वस्थ शरीर और मन के लिए योग का महत्व
- स्थानीय लोगों की भागीदारी
- योग को विश्व स्तर पर पहुँचाने के प्रयास
- धर्मशाला और अन्य निर्माण कार्य
गोंडा, 21 जून (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के कोडर गांव में 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर आज योगाभ्यास का आयोजन किया गया। यह स्थान योग के जनक महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि है। गोंडा की जिला अधिकारी नेहा शर्मा ने बताया कि स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन के साथ सर्वांगीण विकास के लिए योग का अभ्यास अनिवार्य है।
गोंडा में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का यह कार्यक्रम कोडर गांव में बड़े उत्साह के साथ मनाया गया, जहां स्थानीय लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। कोडर को महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली के रूप में विकसित किया जा रहा है। पर्यटन विभाग की ओर से यहां धर्मशाला सहित अन्य सुविधाएं बनाई जा रही हैं। यह हमारे लिए गर्व की बात है कि गोंडा जनपद में महर्षि पतंजलि का जन्मस्थान है। योग कार्यक्रम का आयोजन झील के किनारे किया गया, जहां जिले के निवासियों ने योगाभ्यास किया।
प्रशिक्षक महेश ओझा ने कहा कि सुबह 4 बजे से महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली में योग कक्षाएं आयोजित की जाती हैं। इन कक्षाओं में स्थानीय लोग शामिल होते हैं। उन्होंने बताया कि महर्षि पतंजलि ने अपने महाभाष्य में अष्टांग योग का विस्तार से वर्णन किया है, उसी के अनुसार यहां योग का आयोजन किया गया।
स्थानीय निवासी रविशंकर ने बताया कि महर्षि पतंजलि अपने शिष्यों को पर्दे के पीछे से उपदेश देते थे। एक बार एक छात्र ने पर्दा उठा दिया, जिससे महर्षि पतंजलि सर्पाकार होकर अदृश्य हो गए। उन्होंने योग के महत्व के बारे में बताया कि असाध्य रोगों का उपचार भी योग के माध्यम से संभव है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने योग को विश्व स्तर पर पहुंचाने का कार्य किया है।
अयोध्या से महज 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गोंडा के कोडर गांव में महर्षि पतंजलि का आश्रम है और यहां आज भी योग कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं। यहां प्रतिदिन अनेक लोग आकर योग का अभ्यास करते हैं।