क्या केंद्र का निर्णय लोकतांत्रिक सिद्धांतों का उल्लंघन है? : महबूबा मुफ्ती

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क्या केंद्र का निर्णय लोकतांत्रिक सिद्धांतों का उल्लंघन है? : महबूबा मुफ्ती

सारांश

महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार के जम्मू-कश्मीर में विधायकों के नामकरण के निर्णय को लोकतांत्रिक सिद्धांतों का उल्लंघन बताया है। उन्होंने इस कदम को राज्य के विशेष दर्जे के खिलाफ एक और बड़ा आघात माना। क्या यह कदम लोकतंत्र के लिए खतरा है? जानें पूरी कहानी।

Key Takeaways

  • महबूबा मुफ्ती का आरोप है कि केंद्र का निर्णय लोकतांत्रिक सिद्धांतों का उल्लंघन है।
  • जम्मू-कश्मीर में 5 विधायकों को नामित करना विवादास्पद है।
  • प्रतिनिधित्व जनता के वोट से आना चाहिए न कि केंद्र के आदेश से।
  • अवधि के बाद विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने प्रमुखता दिखाई।
  • केंद्र का कदम लोकतंत्र के लिए एक बड़ा आघात हो सकता है।

श्रीनगर, 11 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार पर जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करने का आरोप लगाया है। विधानसभा चुनाव के बाद पांच विधायकों को नामित करने के फैसले की उन्होंने कड़ी आलोचना की।

महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "चुनाव संपन्न होने के बाद जम्मू-कश्मीर में 5 विधायकों को नामित करने का केंद्र का निर्णय लोकतांत्रिक सिद्धांतों का खुला उल्लंघन है। देश के किसी और हिस्से में केंद्र जनता के जनादेश को दरकिनार कर अपने मनमुताबिक विधायकों को नहीं चुनता।"

उन्होंने कहा कि भारत के एकमात्र मुस्लिम बहुल केंद्र शासित प्रदेश, जो लंबे समय से संघर्ष का सामना कर रहा है, में यह कदम शासन से ज्यादा नियंत्रण की भावना पैदा करता है। इसे राज्य के विशेष दर्जे का अवैध विभाजन, विषम परिसीमन और भेदभावपूर्ण सीट आरक्षण के बाद, लोकतंत्र पर एक और बड़ा आघात बताया गया।

उन्होंने आगे कहा कि प्रतिनिधित्व जनता के वोट से आना चाहिए, न कि केंद्र के आदेश से।

महबूबा मुफ्ती ने पोस्ट में यह भी लिखा, "इसे आदर्श नहीं बनने दिया जा सकता। आशा है कि उमर अब्दुल्ला सरकार इस अलोकतांत्रिक मिसाल को चुनौती देकर इस अवसर का लाभ उठाएगी, क्योंकि अभी चुप रहना बाद में मिलीभगत होगा।"

आपको बता दें कि पिछले साल केंद्र शासित प्रदेश में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हुए थे। विधानसभा चुनाव के नतीजे के अनुसार, नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) को 42 और कांग्रेस को 6 सीटों पर जीत मिली। वहीं, भारतीय जनता पार्टी के खाते में 28 सीटें आईं।

90 सीटों वाली जम्मू-कश्मीर विधानसभा में किसी भी दल को सरकार बनाने के लिए 46 सीटों के बहुमत का आंकड़ा पार करना होता है।

Point of View

हमें यह समझना होगा कि जम्मू-कश्मीर का मुद्दा केवल एक राजनीतिक विवाद नहीं है, बल्कि यह क्षेत्र की सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान से भी जुड़ा है। केंद्र का निर्णय लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। हम हमेशा देश के साथ हैं और इस मुद्दे पर एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
NationPress
26/09/2025

Frequently Asked Questions

महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार पर क्या आरोप लगाया?
महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार पर जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करने का आरोप लगाया है।
केंद्र का विधायकों को नामित करने का निर्णय क्यों विवादास्पद है?
यह निर्णय लोकतांत्रिक सिद्धांतों का उल्लंघन मानते हुए इसे शासन से ज्यादा नियंत्रण की भावना पैदा करने वाला बताया जा रहा है।
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कब हुए थे?
पिछले साल जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हुए थे।
किस दल को कितनी सीटें प्राप्त हुईं?
नेशनल कॉन्फ्रेंस को 42, कांग्रेस को 6 और भारतीय जनता पार्टी को 28 सीटें मिलीं।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बहुमत के लिए कितनी सीटें चाहिए?
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 46 सीटों का बहुमत आवश्यक है।