क्या मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण–2026 में महिला शक्ति और कर्तव्यनिष्ठा की मिसालें हैं?
सारांश
Key Takeaways
- महिला शक्ति ने लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को सशक्त किया है।
- कर्तव्यनिष्ठा से सभी बाधाओं को पार किया जा सकता है।
- समाज में महिलाओं की भूमिका को पहचानना आवश्यक है।
- प्रेरणा की कहानियाँ हमें सकारात्मकता देती हैं।
- सामुदायिक सहयोग से कार्य की गुणवत्ता में सुधार होता है।
जयपुर, 21 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। लोकतांत्रिक प्रक्रिया की मजबूती में मतदाता सूची की सटीकता एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इस प्रक्रिया की मुख्य धुरी माने जाने वाले बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) अपने क्षेत्र में घर-घर जाकर न केवल फॉर्म वितरित करते हैं, बल्कि डिजिटाइजेशन और सत्यापन जैसे तकनीकी कार्यों को भी सफलता से अंजाम देते हैं।
मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण–2026 के दौरान राजस्थान के विभिन्न जिलों में कई बीएलओ ने कठिन परिस्थितियों के बावजूद कर्तव्यनिष्ठता का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया है। श्रीगंगानगर की समेस्ता और मसूदा की कमला इसी निष्ठा और महिला शक्ति का प्रेरणादायक उदाहरण हैं।
कमला, जो 4 किलोमीटर पैदल चलकर ढाणियों तक पहुंचने वाली एक कर्तव्यनिष्ठ बीएलओ हैं, ने मसूदा विधानसभा क्षेत्र की भाग संख्या 215 में मतदाता सूची पुनरीक्षण के दौरान असाधारण समर्पण दिखाया। ब्यावर जिले के गांवों, कस्बों और दुर्गम ढाणियों में चल रही इस व्यापक मुहिम में मार्ग, नेटवर्क और परिवहन से जुड़ी कठिनाइयां आम हैं, लेकिन कमला ने इन बाधाओं को कभी बाधित नहीं होने दिया।
सोबड़ी गांव से प्रतिदिन लगभग 4 किलोमीटर पैदल चलकर खेतों और बिखरी ढाणियों तक पहुंचना सामान्य कार्य नहीं है। कई स्थानों पर नेटवर्क न मिलने और वाहन न मिलने पर पूरा रास्ता पैदल तय करना पड़ता, फिर भी कमला ने धैर्य, साहस और कर्तव्यनिष्ठा को अपने आधार बनाए रखा।
दिनभर घर-घर जाकर गणना प्रपत्र भरवाने और शाम को घर लौटकर कमजोरी नेटवर्क में भी डिजिटाइजेशन पूरा करने में उन्होंने अनुशासन का पालन किया।
कमला ने 18 नवंबर तक फॉर्म वितरण और डिजिटाइजेशन दोनों कार्य 100% पूरे कर दिए। यह उनकी मेहनत का ही नहीं, बल्कि सामुदायिक सहयोग, टीम भावना और कर्तव्य के प्रति गहरी निष्ठा का परिणाम है।
19 नवंबर को अपना लक्ष्य पूरा करने के बाद भी कमला ने आराम नहीं किया। उन्होंने पड़ोसी बूथों के बीएलओ को फॉर्म भरने और डिजिटाइजेशन में सहयोग देना शुरू कर दिया।
श्रीगंगानगर के राउप्रा विद्यालय (7 एलएनपी) की सेकेंड ग्रेड टीचर समेस्ता को गंगानगर विधानसभा क्षेत्र की भाग संख्या 160 का बीएलओ प्रभार सौंपा गया था। एक ओर घर में 7 माह की छोटी बेटी और 5 साल का बेटा, दूसरी ओर फील्ड में मतदाता सूची पुनरीक्षण का कार्य, लेकिन इस दोहरी जिम्मेदारी के बावजूद समेस्ता ने अपने कर्तव्य से एक कदम भी पीछे हटना स्वीकार नहीं किया।
उन्होंने अपने पति होशियार सिंह के सहयोग से घर-परिवार की जिम्मेदारी संभालने का निर्णय लिया और स्वयं फील्ड में पूरी ऊर्जा से जुट गईं। अपने क्षेत्र के 983 मतदाताओं को गणना प्रपत्र वितरित करने के बाद उन्होंने 806 प्रपत्रों का डिजिटलीकरण समय पर पूरा किया।
मातृत्व और प्रशासनिक कार्यों का यह संतुलन उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और कर्तव्यनिष्ठा का अद्भुत उदाहरण है। उन्होंने बताया कि इस अभियान में सभी समाज के लोगों ने उनका भरपूर सहयोग किया, जिससे कार्य की गति और गुणवत्ता दोनों बेहतर हुईं। समेस्ता को जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा ‘उल्लेखनीय कार्य पुरस्कार’ देकर सम्मानित किया गया। यह सम्मान उनके समर्पण, साहस और अदम्य जज्बे का प्रतीक है।
समेस्ता और कमला की कहानियाँ केवल व्यक्तिगत उपलब्धियां नहीं, बल्कि एक बड़ा संदेश देती हैं कि जब महिलाएं जिम्मेदारी उठाती हैं, तो परिणाम असाधारण होते हैं। इन दोनों महिला बीएलओ ने यह साबित किया है कि समर्पण, साहस और निष्ठा मिलकर लोकतंत्र की जड़ों को और गहरा करती हैं।
इन महिलाओं के जज्बे की मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्री नवीन महाजन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान विशेष सराहना की। उन्होंने कहा, “घर और फील्ड दोनों की जिम्मेदारी निभाते हुए लक्ष्य हासिल करना वास्तव में प्रशंसनीय और अनुकरणीय है।”