क्या कमला नेहरू महिला सशक्तिकरण की प्रतीक थीं?

सारांश
Key Takeaways
- कमला नेहरू महिलाओं के सशक्तिकरण की प्रतीक थीं।
- उन्होंने असहयोग आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- महिलाओं को संगठित करने का कार्य किया।
- उनकी प्रेरणा से कई महिलाएं स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय हुईं।
- कमला नेहरू ने गांधीवादी सिद्धांतों को अपनाया।
नई दिल्ली, 31 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू महिलाओं के सशक्तिकरण का प्रतीक मानी जाती हैं। वह उन स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थीं, जिन्होंने भारत की धरती के लिए लड़ाई लड़ी और अन्य महिलाओं को भी इस महायज्ञ में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।
हर साल 1 अगस्त को कमला नेहरू की जयंती मनाई जाती है। 1899 में दिल्ली में जन्मी कमला, स्वतंत्रता संग्राम की एक अग्रणी योद्धा थीं। उनकी सादगी, साहस और देशभक्ति ने उन्हें न सिर्फ नेहरू परिवार में एक विशेष स्थान दिलाया, बल्कि भारतीय महिलाओं को राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए भी प्रेरित किया। स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान, विशेषकर असहयोग आंदोलन और घायल सेनानियों के लिए स्थापित औषधालय (जो बाद में कमला नेहरू मेमोरियल अस्पताल बना) ने उनकी विरासत को अमर बना दिया।
कमला नेहरू ने उस समय में महिलाओं को एकजुट करने का कार्य किया जब महिलाओं की सार्वजनिक जीवन में भागीदारी सीमित थी। उन्होंने महिलाओं को संगठित कर ब्रिटिश शासन के खिलाफ प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे उनमें आत्मविश्वास और नेतृत्व की भावना जागृत हुई। उनकी यह पहल उस समय के रूढ़िवादी समाज में एक क्रांतिकारी कदम था।
कमला नेहरू ने अपने कार्यों से यह सिद्ध किया कि महिलाएं केवल घर की चारदीवारी तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे राष्ट्र निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। उनकी प्रेरणा से कई महिलाएं स्वतंत्रता संग्राम में और अधिक सक्रिय हुईं। इंदिरा, उनकी पुत्री, को भी उन्होंने आंदोलनों के प्रति प्रेरित किया।
इंदिरा ने बाद में अपनी मां के आदर्शों को अपनाते हुए भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
कमला नेहरू सादा जीवन पसंद करती थीं। वह महंगे कपड़े या आभूषणों की जगह खादी पहनती थीं और गांधीवादी सिद्धांतों को अपनाती थीं। उनकी संवेदनशीलता उन्हें समाज के गरीब और दबे-कुचले वर्गों के करीब लाती थी।
1916 में 16 साल की उम्र में उनकी शादी जवाहरलाल नेहरू से हुई। दोनों ने समय के साथ एक-दूसरे को समझा और स्वतंत्रता संग्राम में एक साथ मिलकर काम किया। कमला नेहरू ने न केवल अपने पति का साथ दिया, बल्कि एक स्वतंत्र व्यक्तित्व के रूप में अपनी पहचान भी बनाई। उनकी सादगी, दृढ़ता और देशभक्ति ने उन्हें राष्ट्रीय आंदोलन में एक आदर्श महिला नेतृत्व के रूप में स्थापित किया।
कमला नेहरू को (टीबी) की बीमारी थी, जिसके कारण उनका स्वास्थ्य हमेशा कमजोर रहा। उन्होंने स्विट्जरलैंड और जर्मनी में इलाज करवाया, लेकिन 1936 में मात्र 36 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।