क्या संसद में महिलाओं के घरेलू कार्यों का आर्थिक मूल्यांकन होना चाहिए?
सारांश
Key Takeaways
- महिलाओं का घरेलू कार्य महत्वपूर्ण है।
- आर्थिक मूल्यांकन से सामाजिक स्थिति में सुधार हो सकता है।
- जीडीपी में घरेलू कार्यों को शामिल किया जा सकता है।
- सरकार को महिलाओं के कार्यों को मान्यता देनी चाहिए।
- महिलाओं का सशक्तीकरण होगा।
नई दिल्ली, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। महिलाओं द्वारा घर के कार्यों का आर्थिक मूल्यांकन करना आवश्यक है। केवल यही नहीं, बल्कि इन घरेलू कार्यों की गणना सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में भी होनी चाहिए। यह महत्वपूर्ण मुद्दा सोमवार को संसद में चर्चा के लिए प्रस्तुत किया गया।
संसद में कहा गया कि महिलाओं द्वारा किए गए घरेलू कार्यों का आर्थिक मूल्यांकन होना आवश्यक है। राज्यसभा सांसद गीता उर्फ चंद्रप्रभा ने इस विषय को सदन के समक्ष रखा। उन्होंने कहा कि यह महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में बदलाव लाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
गीता ने सदन में बताया कि जब किसी गृहिणी से पूछा जाता है कि वह क्या करती हैं, तो उनका अक्सर उत्तर होता है कि वह कुछ नहीं करतीं, केवल घर का काम करती हैं। इस महत्वपूर्ण कार्य को न तो आधिकारिक दर्जा दिया गया है और न ही इसका आर्थिक मूल्यांकन किया जाता है। यह मुद्दा सुनने में भले ही छोटा लगे, लेकिन यदि हम इसका आर्थिक मूल्यांकन करें, तो यह जीडीपी और महिलाओं की सामाजिक स्थिति में बड़ा बदलाव ला सकता है।
उन्होंने बताया कि आज की महिलाएं प्रतिदिन 5 से 8 घंटे घरेलू कार्यों में व्यतीत करती हैं। उन्होंने राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि महिलाओं द्वारा किए जा रहे इन कार्यों का आर्थिक मूल्यांकन नहीं किया गया है।
गीता ने कहा कि यदि पुरुष बाहर जाकर पैसे कमाता है, तो महिलाएं भी घर के कार्यों के जरिए परिवार का योगदान देती हैं, और उनके इस योगदान को नहीं नकारा जा सकता।
अंत में, उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि महिलाओं द्वारा किए जाने वाले घरेलू कार्यों का आर्थिक मूल्यांकन किया जाए और इसे आर्थिक श्रेणी में शामिल किया जाए। यदि ऐसा किया जाता है, तो इससे महिलाओं के सशक्तीकरण को बल मिलेगा।