क्या महुआ मोइत्रा के आरोप पर टंकधर त्रिपाठी का तंज सही है? भारत कोई धर्मशाला नहीं!

सारांश
Key Takeaways
- टंकधर त्रिपाठी ने कहा कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है।
- महुआ मोइत्रा ने अवैध हिरासत का आरोप लगाया।
- कानून के अनुसार अवैध रूप से रहने वालों पर कार्रवाई होगी।
- बीजद और कांग्रेस को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।
- राजनीतिक दलों को फर्जी दस्तावेजों का समर्थन नहीं करना चाहिए।
भुवनेश्वर, 9 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। झारसुगुड़ा के विधायक और भाजपा नेता टंकधर त्रिपाठी ने टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के उन ट्वीट्स पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें उन्होंने उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोगों की हिरासत का आरोप लगाया था। मोइत्रा का कहना था कि 23 से अधिक व्यक्तियों को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है और उन्होंने ओडिशा के मुख्यमंत्री एवं पुलिस महानिदेशक से उनकी रिहाई की मांग की थी।
महुआ मोइत्रा ने अपनी पोस्ट में ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और बीजू जनता दल को भी टैग किया था।
महुआ मोइत्रा के ट्वीट का जवाब देते हुए त्रिपाठी ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "भारत कोई धर्मशाला नहीं है और ओडिशा भी कोई धर्मशाला नहीं है। कोई भी व्यक्ति बिना वैध अनुमति या दस्तावेजों के विदेशी धरती से आकर यहां नहीं रह सकता। झारसुगुड़ा में अवैध रूप से रहने वालों पर भारत सरकार के गृह मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार कानूनी कार्रवाई की जाएगी।"
उन्होंने स्पष्ट किया कि, "जिनके पास वैध भारतीय नागरिकता के दस्तावेज हैं, उन्हें रिहा किया जा रहा है, जबकि बिना पहचान या राष्ट्रीयता के प्रमाण के लोगों के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।"
त्रिपाठी ने बीजू जनता दल (बीजद) और कांग्रेस पर भी निशाना साधते हुए कहा, "दोनों दलों को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। क्या वे विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक और संभावित आपराधिक गतिविधियों में शामिल विदेशी नागरिकों की अवैध उपस्थिति का समर्थन करते हैं? या वे देशहित के साथ खड़े हैं?"
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि "कुछ राजनीतिक दल फर्जी दस्तावेज देकर इन अवैध विदेशियों को वोट बैंक में बदलने की कोशिश कर रहे हैं। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कानून अपना काम करेगा।"
भाजपा नेता टंकधर त्रिपाठी ने बीजद नेतृत्व से अपनी स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह किया, खासकर जब महुआ मोइत्रा ने दावा किया है कि बंदियों के पास सभी आवश्यक दस्तावेज हैं और बीजद के शासनकाल में ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।