क्या गोरखा मुद्दों पर बातचीत के लिए मध्यस्थ की नियुक्ति से ममता नाराज हैं?

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क्या गोरखा मुद्दों पर बातचीत के लिए मध्यस्थ की नियुक्ति से ममता नाराज हैं?

सारांश

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर गोरखा मुद्दों पर बातचीत के लिए केंद्र द्वारा एक मध्यस्थ की नियुक्ति पर नाराजगी जताई है। यह निर्णय राज्य सरकार से परामर्श के बिना लिया गया है, जो संघीय सहयोग की भावना के खिलाफ है।

Key Takeaways

  • ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा।
  • गोरखा मुद्दों पर मध्यस्थ की नियुक्ति पर नाराजगी।
  • निर्णय राज्य सरकार से बिना परामर्श के लिया गया।
  • संघीय सहयोग की भावना को बनाए रखने की आवश्यकता।
  • गोरखा समुदाय की शांति के लिए खतरा।

कोलकाता, 18 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भेजकर केंद्र सरकार के हालिया निर्णय पर अपनी गहरी नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि दार्जिलिंग हिल्स, तराई और डुआर्स क्षेत्र में गोरखा समुदाय से संबंधित मुद्दों पर बातचीत के लिए केंद्र द्वारा एक 'मध्यस्थ' की नियुक्ति राज्य सरकार के साथ परामर्श के बिना की गई है, जो कि संघीय सहयोग की भावना के खिलाफ है।

मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा, "मैं यह जानकर आश्चर्यचकित हूं कि भारत सरकार ने पंकज कुमार सिंह, आईपीएस (सेवानिवृत्त) को गोरखा मुद्दों पर बातचीत के लिए मध्यस्थ नियुक्त किया है। यह निर्णय पश्चिम बंगाल सरकार के साथ किसी भी प्रकार की चर्चा या परामर्श के बिना लिया गया है, जबकि यह पूरा मामला राज्य प्रशासन, शांति और दार्जिलिंग की गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) के सुशासन से सीधे तौर पर जुड़ा है।"

ममता बनर्जी ने पत्र में यह भी याद दिलाया कि गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) की स्थापना 18 जुलाई 2011 को दार्जिलिंग में हुए त्रिपक्षीय समझौते के बाद हुई थी, जिसमें भारत सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार और गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के बीच समझौता हुआ था। यह समझौता उस समय के केंद्रीय गृहमंत्री और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की उपस्थिति में हुआ था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जीटीए का गठन गोरखा समुदाय की सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक और भाषाई प्रगति सुनिश्चित करने और पहाड़ी इलाकों की शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की भावना को बनाए रखने के उद्देश्य से किया गया था। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में राज्य सरकार के लगातार प्रयासों से दार्जिलिंग और आसपास के पहाड़ी इलाकों में शांति और सद्भाव का माहौल कायम हुआ है।

ममता बनर्जी ने पत्र में प्रधानमंत्री को बताया कि इस तरह का एकतरफा निर्णय इस नाजुक क्षेत्र की शांति के लिए खतरा बन सकता है।

उन्होंने कहा, "पश्चिम बंगाल सरकार का दृढ़ मत है कि गोरखा समुदाय या जीटीए क्षेत्र से जुड़ी किसी भी पहल को राज्य सरकार से पूरी चर्चा के बाद ही आगे बढ़ाया जाना चाहिए। बिना परामर्श के उठाया गया कोई भी कदम इस क्षेत्र में शांति और सौहार्द को प्रभावित कर सकता है।"

मुख्यमंत्री ने अपने पत्र के अंत में प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया कि इस नियुक्ति आदेश पर पुनर्विचार कर उसे रद्द किया जाए, ताकि केंद्र और राज्य के बीच आपसी सम्मान और संघीय भावना बनी रहे।

उन्होंने अंत में प्रधानमंत्री को दीपावली की शुभकामनाएं भी दीं और कहा, "हम सभी को शांति, सहयोग और संवैधानिक भावना के साथ आगे बढ़ना चाहिए।"

Point of View

यह महत्वपूर्ण है कि केंद्र और राज्य के बीच संवाद बना रहे। ममता बनर्जी की नाराजगी सही है, क्योंकि किसी भी संवेदनशील मुद्दे पर राज्य सरकार से परामर्श करना आवश्यक है। यह न केवल संघीय ढांचे के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि गोरखा समुदाय की स्थिरता के लिए भी।
NationPress
18/10/2025

Frequently Asked Questions

गोरखा मुद्दों पर मध्यस्थ की नियुक्ति क्यों की गई?
केंद्र सरकार ने गोरखा मुद्दों पर बातचीत के लिए एक पूर्व आईपीएस अधिकारी को मध्यस्थ नियुक्त किया, जिससे राज्य सरकार में असंतोष फैला।
ममता बनर्जी ने पीएम को क्या लिखा?
उन्होंने पत्र में लिखा कि बिना राज्य सरकार के परामर्श के यह निर्णय लिया गया है, जो संघीय सहयोग की भावना के खिलाफ है।
गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन क्या है?
यह एक प्रशासनिक इकाई है जो गोरखा समुदाय के विकास और सुशासन के लिए बनाई गई थी।
क्या यह निर्णय गोरखा समुदाय की शांति पर असर डालेगा?
ममता बनर्जी ने चेतावनी दी है कि यह निर्णय क्षेत्र की शांति के लिए खतरा बन सकता है।
गोरखा मुद्दों पर बातचीत के लिए क्या जरूरी है?
राज्य सरकार के साथ चर्चा और सहमति के बिना कोई भी पहल समस्या को बढ़ा सकती है।