क्या ममता सरकार की श्रमश्री योजना बंगाली प्रवासी कामगारों के लिए एक नई उम्मीद है?

सारांश
Key Takeaways
- श्रमश्री योजना बंगाली प्रवासी कामगारों के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है।
- लौटने वाले कामगारों को 5,000 रुपए प्रति माह का समर्थन मिलेगा।
- योजना का पोर्टल अभी तक चालू नहीं हुआ है।
- यह योजना बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले घोषित की गई है।
- टीएमसी ने इस योजना के खिलाफ आवाज उठाई है।
कोलकाता, 21 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन बंगाली प्रवासी कामगारों के लिए एक नई योजना की घोषणा की है, जो दूसरे राज्यों से लौटने के लिए मजबूर हुए हैं। इस योजना का नाम है "श्रमश्री योजना"। इसके तहत, लौटने वाले प्रवासी कामगारों को एक वेब पोर्टल के माध्यम से जॉब कार्ड प्रदान किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत लौटने वाले श्रमिकों को एक वर्ष तक या जब तक उन्हें रोजगार नहीं मिल जाता, तब तक 5,000 रुपए प्रति माह दिया जाएगा।
ममता सरकार के इस निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार और भाजपा विधायक अशोक कुमार लाहिड़ी ने इस योजना के पोर्टल के न खुलने पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि अगर कोई आवेदन करना चाहेगा तो वह नहीं कर पाएगा। बंगाल विधानसभा चुनाव के समय में, ममता सरकार ने इस योजना का ऐलान किया है। उन्होंने यह भी कहा कि ममता सरकार को इस योजना के कार्यान्वयन के संबंध में जनता को जानकारी देनी चाहिए।
इसके अलावा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में एक बिल पेश किया, जो प्रधानमंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को गंभीर अपराध के आरोपों के बाद पद से हटाने से संबंधित है। टीएमसी ने इसका विरोध किया है और कहा है कि यह विधेयक संविधान पर हमला है।
भाजपा विधायक अशोक कुमार लाहिड़ी ने टीएमसी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि राजनीति में ऐसे लोग आ गए हैं, जिन्हें आना नहीं चाहिए था। उनका मानना है कि यदि कोई जेल चला जाए, तो उसे मंत्री बनने का अधिकार नहीं होना चाहिए। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए बिल का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि यह राजनीति में पारदर्शिता लाने का कदम है।
उन्होंने कहा कि यह कहां लिखा गया है कि अपराधियों को राजनीति में आना चाहिए, और यह सच है कि राजनीति में अपराधियों का बोलबाला बढ़ रहा है। कितने राजनेताओं के खिलाफ अपराध के आरोप हैं, टीएमसी उन्हें कैसे समर्थन कर सकती है?