क्या मंत्री मोहिंदर भगत ने केंद्र सरकार की राहत राशि को 'ऊंट के मुंह में जीरा' बताया?

सारांश
Key Takeaways
- बाढ़ प्रभावितों के लिए राहत राशि अपर्याप्त मानी जा रही है।
- राजनीतिक टकराव पंजाब में बढ़ता जा रहा है।
- विपक्षी दलों को सहयोग की आवश्यकता है।
- राहत कार्यों पर ध्यान देना जरूरी है।
- केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
चंडीगढ़, 26 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। पंजाब विधानसभा में शुक्रवार को सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के विधायक और मंत्रियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। 'आप' के विधायकों ने सदन में तख्तियां उठाकर नारेबाजी शुरू कर दी और स्पीकर के आसन के सामने पहुँच गए। स्थिति को देखते हुए विधानसभा स्पीकर को कार्यवाही 20 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।
इस प्रदर्शन के संदर्भ में मंत्री मोहिंदर भगत ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पंजाब के लिए घोषित 1600 करोड़ रुपये का पैकेज केवल एक जुमला साबित हुआ है। उन्होंने इसे ऊंट के मुंह में जीरा के समान बताते हुए कहा कि अब तक बाढ़ पीड़ितों तक इसका एक रुपया भी नहीं पहुँच सका है। भगत ने इसे बेहद दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि मजबूरी में उन्हें और उनकी पार्टी के विधायकों को प्रधानमंत्री के खिलाफ विधानसभा में विरोध दर्ज कराना पड़ रहा है।
मोहिंदर भगत ने आगे कहा कि पहले तो प्रधानमंत्री मोदी देरी से बाढ़ प्रभावितों से मिलने आए और फिर केवल 1600 करोड़ रुपये की राहत राशि की घोषणा करके अपना कर्तव्य पूरा मान लिया। उन्होंने प्रश्न उठाया कि इतनी बड़ी तबाही झेल रहे पंजाब के लिए यह राशि कैसे पर्याप्त हो सकती है, जबकि हजारों लोग बेघर हो चुके हैं और खेती-किसानी को भारी नुकसान पहुँच चुका है।
वहीं, कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री राहत फंड में राशि न डालने की लोगों को हिदायत का भी मोहिंदर भगत ने विरोध किया। भगत ने कहा कि इस संकट के समय में विपक्षी दलों को सत्ता पक्ष का साथ देना चाहिए, न कि मुख्यमंत्री राहत फंड में योगदान देने से लोगों को हतोत्साहित करना चाहिए। कांग्रेस का यह रवैया निंदनीय है। उन्होंने कहा कि आपदा के समय राजनीति नहीं, बल्कि राहत कार्यों पर ध्यान देना चाहिए।
विधानसभा में हुए हंगामे के बाद यह स्पष्ट हो गया कि पंजाब में बाढ़ राहत को लेकर सियासी टकराव और गहरा गया है। आप का आरोप है कि केंद्र सरकार पंजाब की अनदेखी कर रही है और उचित राहत नहीं प्रदान कर रही।