क्या मार्गशीर्ष अमावस्या पर दान करने से पितरों की कृपा प्राप्त होगी?
सारांश
Key Takeaways
- मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व पितृों की तृप्ति के लिए है।
- इस दिन दान और पूजा से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
- पवित्र नदी में स्नान करना और दान देना शुभ होता है।
- पक्षियों को दाना खिलाने का धार्मिक महत्व है।
- इस दिन दान करने से परिवार में सुख और समृद्धि आती है।
नई दिल्ली, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। हर महीने की अमावस्या का अपना एक विशेष महत्व होता है। मार्गशीर्ष के महीने में आने वाली दर्श अमावस्या या मार्गशीर्ष अमावस्या अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि इसे पितरों से जोड़कर देखा जाता है।
यह मान्यता है कि यदि पितृ अशांत हैं या उनकी तृप्ति के लिए तर्पण की आवश्यकता है, तो दर्श अमावस्या से बेहतर कोई और दिन नहीं हो सकता। तो चलिए पहले यह जान लेते हैं कि दर्श अमावस्या कब है।
मार्गशीर्ष के महीने में पड़ने वाली दर्श अमावस्या का मुहूर्त 19 नवंबर की सुबह 9 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर 20 नवंबर की दोपहर 12 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। इस प्रकार, उदया तिथि के अनुसार 20 नवंबर को दर्श अमावस्या मनाई जाएगी। इस दिन पितरों के नाम से दान-पुण्य करना और गरीबों को भोजन कराना अत्यंत शुभ माना जाता है। पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन भगवान विष्णु और पितरों की पूजा करनी चाहिए और उनके नाम से गेहूं, चावल और काले तिलों का दान करना लाभकारी माना जाता है। ऐसा मानना है कि इन वस्तुओं का दान करने से पितृ शांत होते हैं और परिवार पर कृपा बरसाते हैं।
मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन सुबह पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। यदि नदी में स्नान करना संभव नहीं है तो घर पर ही बाल्टी में नदी का जल मिला लें। नहाते समय अपने पितरों का ध्यान करना चाहिए। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। इसके साथ ही साबुत उड़द और कंबल का दान करना भी शुभ होता है। ऐसा करने से पितृ अपने स्थान पर सुखी और प्रसन्न रहते हैं और राहु और केतू का नकारात्मक प्रभाव भी कम होता है।
मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पक्षियों को दाना खिलाना बहुत शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि पितृ पक्षियों के रूप में आकर दाना ग्रहण करते हैं। ऐसा करने से पितरों को शांति मिलती है। इसके अतिरिक्त, इस दिन पितरों का तर्पण भी किया जा सकता है। पितृ की कृपा से घर-परिवार सुखी रहता है, करियर में सफलता मिलती है और वंश वृद्धि भी होती है।