क्या आप जानना चाहते हैं मासिक दुर्गाष्टमी पर मां दुर्गा को कैसे प्रसन्न करें?

सारांश
Key Takeaways
- मासिक दुर्गाष्टमी हर महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है।
- इस दिन का व्रत और पूजा सभी बाधाओं को दूर करता है।
- लाल रंग की पोशाक मां दुर्गा को प्रिय होती है।
- कन्या पूजन इस दिन का विशेष महत्व है।
- पूजा के लिए अभिजीत मुहूर्त का ध्यान रखें।
नई दिल्ली, 31 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को दुर्गाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इस दिन सूर्य कर्क राशि में और चंद्रमा तुला राशि में स्थित रहेंगे।
दृक पंचांग के अनुसार, इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से 12:54 बजे तक रहेगा, जबकि राहुकाल सुबह 10:46 बजे से 12:27 बजे तक होगा।
मासिक दुर्गाष्टमी हर महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है। यह दिन जगत जननी मां दुर्गा को समर्पित होता है और इस दिन उनकी विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि मासिक दुर्गाष्टमी पर मां दुर्गा की पूजा का फल नवरात्रि की पूजा के समान होता है। इस बार दुर्गाष्टमी 1 अगस्त को है। इसका शुभ मुहूर्त 1 अगस्त को सुबह 04:58 बजे से 2 अगस्त को सुबह 07:23 बजे तक रहेगा।
इस दिन व्रत रखने और देवी मां को लाल रंग की पोशाक या चुनरी चढ़ाने से जीवन में चल रही सभी बाधाएं समाप्त होती हैं। 'सर्वा बाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः।।' का जाप करने से भी लाभ होता है।
मासिक दुर्गाष्टमी की पूजा विधि में सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें। लाल रंग के वस्त्र पहनना विशेष लाभकारी होता है। फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर माता की प्रतिमा स्थापित करें। देवी मां को श्रृंगार का सामान अर्पित करें जिसमें लाल चुनरी, सिंदूर, अक्षत (चावल), लाल पुष्प, चंदन, रोली आदि शामिल हैं। इसके बाद उन्हें फल, मिठाई या अन्य सात्विक भोग लगाएं। मां दुर्गा के सामने घी का दीपक जलाएं और धूपबत्ती प्रज्वलित करें। आप दुर्गा सप्तशती का पाठ भी कर सकते हैं। अंत में मां दुर्गा की आरती करें।
मासिक दुर्गाष्टमी के दिन कन्या पूजन करना शुभ माना जाता है। 9 कन्याओं को भोजन कराएं और उन्हें वस्त्र, फल, मिठाई और दक्षिणा देकर सम्मानित करें। यदि संभव न हो, तो कम से कम एक कन्या का पूजन अवश्य करें। जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करना भी शुभ है।