क्या कुंवारी कन्याएं और सुहागिन महिलाएं मासिक शिवरात्रि व्रत रखें? जानें लाभ के लिए सही पूजा विधि

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क्या कुंवारी कन्याएं और सुहागिन महिलाएं मासिक शिवरात्रि व्रत रखें? जानें लाभ के लिए सही पूजा विधि

सारांश

मासिक शिवरात्रि का महत्व और व्रत रखने के लाभ जानें। इस दिन कुंवारी कन्याओं और विवाहित महिलाओं के लिए खास पूजा विधि के साथ लाभकारी उपाय साझा किए गए हैं। जानें कैसे करें सही पूजा और क्या है आडल योग का प्रभाव।

Key Takeaways

  • मासिक शिवरात्रि का आयोजन हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को होता है।
  • कुंवारी कन्याएं व्रत रखकर महादेव की कृपा प्राप्त कर सकती हैं।
  • आडल योग में शुभ कार्य करने से बचना चाहिए।
  • पूजा विधि में ब्रह्म मुहूर्त का ध्यान रखें।
  • भगवान शिव का पंचाक्षर मंत्र जप करें।

नई दिल्ली, 17 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का आयोजन किया जाता है। इस बार 18 नवंबर को मासिक शिवरात्रि के साथ आडल योग भी बन रहा है। इस दिन भक्तगण भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं और कई लोग व्रत भी रखते हैं।

द्रिक पंचांग के अनुसार, मंगलवार को सूर्य वृश्चिक राशि में और चंद्रमा तुला राशि में रहेगा। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक रहेगा। वहीं, राहुकाल का समय दोपहर 2 बजकर 46 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 6 मिनट तक रहेगा।

मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन कुंवारी कन्याएं व्रत रखने से महादेव की अनंत कृपा प्राप्त करती हैं, जिससे अच्छे वर की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, विवाहित महिलाएं भी व्रत रखकर अपने वैवाहिक जीवन को सुदृढ़ बना सकती हैं।

पुराणों में शिवरात्रि व्रत का उल्लेख है। शास्त्रों के अनुसार, देवी लक्ष्मी, इन्द्राणी, सरस्वती, गायत्री, सावित्री, सीता, पार्वती तथा रति ने भी इस दिन का व्रत किया था। श्रद्धालु जो मासिक शिवरात्रि का व्रत करना चाहते हैं, वे इसे महाशिवरात्रि से आरंभ करके एक वर्ष तक निरंतर कर सकते हैं।

मासिक शिवरात्रि के दिन भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। एक चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा को स्थापित करें, गंगाजल से अभिषेक करें और बिल्वपत्र, चंदन, अक्षत, फल और फूल चढ़ाएं। भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र का जाप करने से भी लाभ मिलता है। 11 बार रुद्राक्ष की माला से मंत्र जाप करें। शिवलिंग के सामने बैठकर राम-राम का जप करने से भी भोलेनाथ की कृपा बरसती है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, आडल योग एक अशुभ योग माना जाता है, जिसमें शुभ कार्य करना वर्जित है। ऐसे में बचने के लिए धर्मशास्त्रों में सूर्य पुत्र की पूजा की विधि बताई गई है, जिसके करने से उनकी कृपा बनी रहती है और दुष्प्रभाव समाप्त होते हैं।

Point of View

बल्कि यह जीवन के सकारात्मक पहलुओं को भी उजागर करता है। इस दिन की पूजा विधि और उसके लाभों को समझकर समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है।
NationPress
17/11/2025

Frequently Asked Questions

मासिक शिवरात्रि का व्रत किस तिथि को मनाया जाता है?
मासिक शिवरात्रि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है।
आडल योग का क्या महत्व है?
आडल योग एक अशुभ योग माना जाता है, जिसमें शुभ काम करने से बचना चाहिए।
कुंवारी कन्याओं को व्रत रखने का क्या लाभ है?
कुंवारी कन्याएं व्रत रखकर महादेव की कृपा प्राप्त करती हैं, जिससे अच्छे वर की प्राप्ति होती है।
मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि क्या है?
भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें, पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल से अभिषेक करें।
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