क्या मथुरा में स्वर्ण-रजत हिंडोले में विराजमान होकर बांकेबिहारी ने भक्तों को दर्शन दिए?

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क्या मथुरा में स्वर्ण-रजत हिंडोले में विराजमान होकर बांकेबिहारी ने भक्तों को दर्शन दिए?

सारांश

मथुरा में हरियाली तीज का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया गया, जहां भक्तों को स्वर्ण-रजत हिंडोले में ठाकुर बांकेबिहारी के दर्शन का मौका मिला। यह विशेष अवसर भक्तों के लिए अद्वितीय अनुभव रहा, जो भक्ति और उल्लास से भरा था।

Key Takeaways

  • हरियाली तीज का पर्व श्रद्धा और उल्लास का प्रतीक है।
  • ठाकुर बांकेबिहारी जी को स्वर्ण-रजत हिंडोला में दर्शन का अवसर मिलता है।
  • मंदिर परिसर की विशेष सजावट हरियाली तीज के उत्सव को और भी भव्य बनाती है।
  • भक्तों के लिए विशेष भोग अर्पित किया जाता है।
  • उत्सव के बाद ठाकुरजी का विश्राम 'सुख सेज' पर होता है।

मथुरा, 27 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। विश्व प्रसिद्ध ठाकुर श्री बांकेबिहारी मंदिर में रविवार को हरियाली तीज का पावन पर्व पारंपरिक उल्लास और भक्ति के साथ मनाया गया। इस खास मौके पर ठाकुर बांकेबिहारी जी को स्वर्ण और रजत से बने भव्य हिंडोले में विराजमान कर श्रद्धालुओं को दर्शन का अनमोल अवसर प्रदान किया गया।

हर वर्ष की तरह, इस साल भी हिंडोला उत्सव के तहत ठाकुरजी को मंदिर के गर्भगृह से बाहर लाकर लगभग 32 फीट चौड़े और 12 फीट ऊंचे हिंडोले में विराजित किया गया। ठाकुरजी के दोनों ओर प्रतीकात्मक रूप से सखियां थीं, जो उन्हें झूला झुला रही थीं। मंदिर परिसर में हरियाली तीज के उपलक्ष्य में विशेष सजावट की गई, जिसमें सावन के रंगों का सौंदर्य अद्भुत था।

हरियाली तीज के अवसर पर हरे रंग के महत्व को ध्यान में रखते हुए ठाकुरजी और सखियों को हरे रंग की विशेष पोशाक पहनाई गई। मंदिर की सजावट भी पूरी तरह से सावन के रंगों से सजी हुई थी, जिससे पूरे परिसर में हरियाली तीज का विशेष वातावरण बना रहा। ठाकुरजी को पर्व की पारंपरिक मिठाइयां घेवर और फैनी का भोग अर्पित किया गया।

परंपरागत मान्यता के अनुसार, उत्सव के बाद ठाकुरजी के विश्राम के लिए मंदिर के पीछे 'सुख सेज' भी सजाई गई, जहां उन्हें मंदिर बंद होने के पश्चात विश्राम कराया जाता है।

सुबह 7:30स्वर्ण-रजत हिंडोले में झूलते हुए दर्शन किया, उनकी आंखें आनंद और भक्ति से भर गईं। श्रद्धालु स्वयं को धन्य मानते हुए जयकारों के साथ ठाकुरजी के दर्शन करते रहे।

पूरा मंदिर परिसर ठाकुर बांकेबिहारी लाल की भव्य झांकी, आकर्षक श्रंगार और भक्तों की गूंजती हुई जय-जयकार से भक्तिरस में सराबोर दिखाई दिया।

Point of View

बल्कि यह भारतीय संस्कृति की विविधता और समृद्ध परंपराओं का भी प्रतिनिधित्व करता है। हरियाली तीज जैसे अवसर पर भक्तों की भीड़ यह दर्शाती है कि धार्मिक स्थलों का महत्व आज भी लोगों के जीवन में बना हुआ है।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

हरियाली तीज का पर्व कब मनाया जाता है?
हरियाली तीज का पर्व हर साल सावन माह की तृतीया तिथि को मनाया जाता है।
ठाकुर बांकेबिहारी जी का हिंडोला किससे बना होता है?
ठाकुर बांकेबिहारी जी का हिंडोला स्वर्ण और रजत से निर्मित होता है।
इस पर्व पर भक्तों को क्या विशेष भोग अर्पित किया जाता है?
इस पर्व पर भक्तों द्वारा ठाकुरजी को घेवर और फैनी का भोग अर्पित किया जाता है।
हरियाली तीज का महत्व क्या है?
हरियाली तीज का महत्व सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत बड़ा है, यह सावन के स्वागत और प्रकृति की सुंदरता का प्रतीक है।
ठाकुरजी के विश्राम के लिए क्या सजाया जाता है?
ठाकुरजी के विश्राम के लिए मंदिर के पीछे 'सुख सेज' सजाई जाती है।