क्या मायापुर इस्कॉन मंदिर में जन्माष्टमी का उत्सव भक्तों के लिए विशेष रहा?

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क्या मायापुर इस्कॉन मंदिर में जन्माष्टमी का उत्सव भक्तों के लिए विशेष रहा?

सारांश

कोलकाता के मायापुर इस्कॉन मंदिर में जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। हजारों भक्तों ने मिलकर भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव का जश्न मनाया। इस अद्भुत समारोह में भक्ति, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और धार्मिक अनुष्ठान शामिल थे। यह अवसर भक्तों के लिए अपने श्रद्धा और प्रेम को व्यक्त करने का अनूठा मौका बना।

Key Takeaways

  • जन्माष्टमी का उत्सव भक्ति का प्रतीक है।
  • मंदिर की सजावट और भक्ति प्रयोजन सभी को आकर्षित करते हैं।
  • भक्तों का एकत्र होना सामाजिक एकता का प्रतीक है।
  • सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से भक्ति और धर्म का प्रचार होता है।
  • यह उत्सव प्रेम और श्रद्धा का अद्भुत अवसर प्रदान करता है।

कोलकाता, 16 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। जन्माष्टमी के पावन अवसर पर पश्चिम बंगाल के मायापुर स्थित इस्‍कॉन मंदिर में भक्ति और उत्साह का अद्भुत माहौल रहा। हजारों भक्त सुबह से ही मंदिर परिसर में एकत्रित हुए, जहां "हरे कृष्ण, हरे राम" के जयकारों के साथ भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव को धूमधाम से मनाया गया।

सुबह से ही मंदिर में भक्ति का रंग चढ़ा था। भक्तों ने पारंपरिक वेशभूषा में भजन गाए, हरिनाम संकीर्तन में भाग लिया और भगवान कृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना की। मंदिर को फूलों, रंग-बिरंगी सजावट और रोशनी से भव्य ढंग से सजाया गया, जिसने उत्सव की रौनक को और बढ़ा दिया। इस्कॉन के वैश्विक मुख्यालय मायापुर में इस बार लाखों तीर्थयात्री भगवान कृष्ण का आशीर्वाद लेने पहुंचे।

दिनभर मंदिर परिसर में कीर्तन, सांस्कृतिक कार्यक्रम और बाल कृष्ण को समर्पित भक्तिमय प्रस्तुतियां होती रहीं। भक्तों ने भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाने के साथ-साथ उनके भक्ति, धर्म और आनंद के संदेश को भी याद किया। मंदिर का माहौल पूरी तरह आध्यात्मिक और उत्साहपूर्ण रहा, जहां हर कोई कृष्ण के दिव्य नाम में लीन दिखा।

इस्कॉन मायापुर में हर साल जन्माष्टमी को भव्य रूप से मनाया जाता है और इस बार भी परंपरा बरकरार रही। भक्तों ने न केवल उत्सव में भाग लिया, बल्कि प्रेम और श्रद्धा के साथ भगवान कृष्ण की शिक्षाओं को आत्मसात करने का संकल्प भी लिया। मंदिर की सजावट और भक्ति भरे कार्यक्रमों ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

यह उत्सव भक्तों के लिए एक अवसर था, जहां वे भगवान कृष्ण के प्रति अपनी आस्था और समर्पण को व्यक्त कर सके। मायापुर का यह जन्माष्टमी समारोह न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी खास रहा। भक्तों ने इस पवित्र दिन को प्रेम, भक्ति और उत्साह के साथ मनाकर इसे यादगार बना दिया।

Point of View

बल्कि यह भारतीय संस्कृति और एकता का प्रतीक भी है। लाखों भक्तों की भागीदारी दर्शाती है कि भगवान कृष्ण की शिक्षाएं आज भी लोगों के दिलों में गहराई से बसी हुई हैं। इस प्रकार के आयोजनों से सामाजिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा मिलता है, जो राष्ट्र की एकता के लिए आवश्यक है।
NationPress
17/08/2025

Frequently Asked Questions

जन्माष्टमी का उत्सव किस प्रकार मनाया जाता है?
जन्माष्टमी का उत्सव इस्कॉन मंदिरों में भव्य समारोहों के साथ मनाया जाता है, जिसमें भजन, कीर्तन, सांस्कृतिक कार्यक्रम और विशेष पूजा शामिल होती है।
क्या मायापुर इस्कॉन मंदिर में विशेष आयोजन होते हैं?
हाँ, मायापुर इस्कॉन मंदिर में हर साल जन्माष्टमी का उत्सव भव्य रूप से मनाया जाता है, जिसमें लाखों भक्त शामिल होते हैं।
जन्माष्टमी का महत्व क्या है?
जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है, जो भक्ति, प्रेम और धार्मिकता का प्रतीक है।
इस्कॉन मंदिर का इतिहास क्या है?
इस्‍कॉन का स्थापना 1966 में हुई थी, और यह भगवान कृष्ण की शिक्षाओं का प्रचार करता है।
क्या इस्कॉन मंदिर में कोई विशेष पूजा होती है?
जी हाँ, इस्कॉन मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना होती है, जिसमें भक्त भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन होते हैं।