क्या संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर कांग्रेस-सपा नेताओं की प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण है?
सारांश
Key Takeaways
- हिंदू सभ्यता में सभी का समावेश है।
- धर्मनिरपेक्षता का महत्व बढ़ता जा रहा है।
- राजनीतिक नेताओं की प्रतिक्रियाएं संवेदनशील मुद्दों को उजागर करती हैं।
नई दिल्ली, 22 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि हिंदू सभ्यता है और उसी सभ्यता में इमरान मसूद भी शामिल हैं।
मोहन भागवत ने सभ्यता, समाज और राष्ट्र की शक्ति के संदर्भ में कहा कि यदि हिंदू नहीं रहेगा तो यह दुनिया भी नहीं रहेगी। इस पर इमरान मसूद ने कहा कि हिंदू सभ्यता सबको समाहित करती है।
उन्होंने कहा, "मुझे मुसलमान होने पर गर्व है, क्योंकि यह बड़े दिल की सभ्यता है और सभी को अपने में समाहित करती है। इस सभ्यता में धर्मनिरपेक्षता है, नफरत नहीं।"
इमरान मसूद ने टीएमसी के विधायक हुमायूं कबीर के 'बाबरी मस्जिद' संबंधी बयान पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "हम अपने पैसों से अपनी जमीन पर मस्जिद बनाएंगे।"
उन्होंने एसआईआर प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा, "बिहार में पहले से पता था कि कथित तौर पर 60 लाख से अधिक वोट काटे गए हैं। यह वोट कटौती नतीजों में साफ दिखती है। यदि हम खुद को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहते हैं, तो ट्रांसपेरेंसी भी होनी चाहिए। अगर लोगों को उनके वोटिंग अधिकारों से वंचित किया जाता है, तो ये लूटी हुई सरकारें हैं।"
साथ ही, समाजवादी पार्टी के नेता फखरुल हसन चांद ने भी मोहन भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "इस देश में हर कोई संविधान से सुरक्षित है। उनके अधिकार सुरक्षित हैं। जो कोई यह सोचता है कि देश या दुनिया से कोई धर्म खत्म हो जाएगा, वह गलत है। समाजवादी पार्टी का मानना है कि भारत एक डेमोक्रेटिक देश है, जहां डेमोक्रेसी मजबूत है।"
सपा प्रवक्ता अमीक जमई ने कहा कि हिंदू खतरे में नहीं हैं। यह इस देश में हिंदुओं के खिलाफ चल रही डर की राजनीति है।