क्या मुझे मराठी से कोई नफरत नहीं है, लेकिन मैं किसी के दबाव में नहीं सीखूंगा: अबू आजमी?

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क्या मुझे मराठी से कोई नफरत नहीं है, लेकिन मैं किसी के दबाव में नहीं सीखूंगा: अबू आजमी?

सारांश

अबू आजमी ने अपने बयान से एक बार फिर से भाषा विवाद को हवा दी है। उन्होंने मराठी भाषा को लेकर अपनी विचारधारा साझा की और बताया कि वे अपनी मर्जी से इसे सीखने का प्रयास कर रहे हैं। विपक्षी दलों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। जानें इस विवाद की पूरी कहानी।

Key Takeaways

  • अबू आजमी ने मराठी भाषा को लेकर अपनी राय व्यक्त की।
  • विपक्ष ने उनके बयान की आलोचना की है।
  • उन्होंने बरेली हिंसा को लेकर विवादित बयान दिया।
  • व्यक्तिगत पसंद का मामला है, इसे राजनीतिक रंग देना उचित नहीं।
  • मराठी भाषा का सम्मान महत्वपूर्ण है।

मुंबई, 1 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक और प्रदेश अध्यक्ष अबू आजमी ने एक बार फिर अपने बयान से भाषा विवाद को तूल दिया है।

कल्याण रोड चौड़ीकरण विवाद के संदर्भ में स्थानीय पत्रकारों द्वारा मराठी में जवाब देने की मांग पर अबू आजमी ने साफ तौर पर मना कर दिया और केवल हिंदी में प्रतिक्रिया दी। इस दौरान उन्होंने यह सवाल उठाया कि मराठी की आवश्यकता क्या है और उत्तर प्रदेश के लोगों को यह भाषा कैसे समझ में आएगी?

भिवंडी में अपने बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए अबू आजमी ने कहा, "मराठी पूरे देश में नहीं बोली जाती। मेरा संदेश सभी तक पहुंचना चाहिए। मुझे मराठी से कोई नफरत नहीं है, लेकिन मैं किसी के दबाव में इसे नहीं सीखूंगा। मैं अपनी मर्जी से महाराष्ट्र में रहता हूं और मराठी भाषा का सम्मान करता हूं। साल 2009 में मेरे साथ इसी मुद्दे पर अभद्रता की गई थी। मैं किसी के दबाव में नहीं बोलूंगा।"

उन्होंने आगे कहा कि मैं यह जरूर बताना चाहता हूं कि मैं पिछले कुछ महीनों से मराठी भाषा सीखने का प्रयास कर रहा हूं और इसमें काफी हद तक सफलता भी मिली है। मैं मराठी इसलिए सीख रहा हूं क्योंकि इस भाषा से मेरा लगाव है। यह एक व्यक्तिगत पसंद का मामला है और इसे राजनीतिक रंग देना उचित नहीं है।

अबू आजमी के बयान की विपक्षी दलों ने कड़ी आलोचना की है। शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसे मराठी अस्मिता का अपमान बताया है। वहीं, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने भी आजमी के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया दी और मराठी भाषा को अनिवार्य करने की मांग दोहराई।

इसके अलावा, अबू आजमी ने उत्तर प्रदेश के बरेली में हाल ही में हुई हिंसा पर भी अपनी राय दी। उन्होंने कहा, "बरेली हिंसा कोई गंभीर अपराध नहीं था। हां, लोगों ने इजाजत नहीं ली थी। कानपुर में ईद मिलादुन्नबी के दौरान लोगों ने अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। अगर इजाजत नहीं ली गई, तो कानून के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन पुलिस ने बेरहमी से कार्रवाई की, जैसे वे कोई बड़े माफिया या आतंकवादी हों।"

अबू आजमी ने उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा, "यूपी में जंगलराज चल रहा है। प्रदेश को हिंदू-मुस्लिम की आग में झोंका जा रहा है।"

Point of View

अबू आजमी का बयान भाषा के मुद्दों पर एक महत्वपूर्ण चर्चा को जन्म देता है। यह आवश्यक है कि हम भाषाई विविधता का सम्मान करें, लेकिन यह भी समझें कि व्यक्तिगत पसंद का क्या महत्व है। इस मामले में, हमें सभी पक्षों की राय को सुनना चाहिए।
NationPress
01/10/2025

Frequently Asked Questions

क्या अबू आजमी ने मराठी भाषा सीखने का प्रयास किया है?
हाँ, अबू आजमी ने कहा है कि वे पिछले कुछ महीनों से मराठी भाषा सीखने का प्रयास कर रहे हैं।
क्या विपक्ष ने अबू आजमी के बयान की आलोचना की है?
हाँ, विपक्षी दलों ने उनके बयान की कड़ी आलोचना की है और इसे मराठी अस्मिता का अपमान बताया है।
अबू आजमी का बरेली हिंसा पर क्या बयान था?
उन्होंने कहा कि बरेली हिंसा कोई गंभीर अपराध नहीं था और पुलिस ने बेरहमी से कार्रवाई की।