क्या बांग्लादेशी नागरिक ने भारत में रहकर किया धोखा?

सारांश
Key Takeaways
- अवैध प्रवास एक गंभीर अपराध है।
- फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कानून का उल्लंघन है।
- भारतीय आव्रजन प्रणाली को मजबूत बनाने की आवश्यकता है।
- सरकार को ऐसे मामलों में सख्ती बरतनी चाहिए।
- नागरिकों को अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों का ज्ञान होना चाहिए।
मुंबई, 16 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। सहार पुलिस ने एक बांग्लादेशी नागरिक को गिरफ्तार किया है, जो लगभग दो दशकों से अवैध रूप से भारत में रह रहा था। उसकी पहचान एमडी इक्लाज मोल्ला एमडी बाजिलियर मोल्ला के रूप में हुई है। वह 2005 में अवैध तरीके से भारत आया था।
पुलिस की जांच में पता चला है कि मोल्ला ने 2014 में कोलकाता पासपोर्ट कार्यालय में फर्जी नाम और पते के माध्यम से धोखे से भारतीय पासपोर्ट प्राप्त किया। कथित तौर पर, उसने इस जाली पासपोर्ट का उपयोग कर कई बार विदेश यात्रा की।
यह मामला तब उजागर हुआ जब 14 अक्टूबर 2025 को उसने इंडिगो की उड़ान 6ई-1236 द्वारा कुवैत से मुंबई आने का प्रयास किया, परंतु मुंबई हवाई अड्डे पर इमीग्रेशन अधिकारियों ने उसे रोक लिया।
अधिकारियों के अनुसार, धोखाधड़ी से प्राप्त भारतीय पासपोर्ट का उपयोग करके, आरोपी ने भारतीय पासपोर्ट प्राधिकरण और मुंबई आव्रजन विभाग को धोखा दिया।
अधिकारी द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद, सहार पुलिस ने आरोपी के खिलाफ बीएनएस की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
मोल्ला पिछले ग्यारह वर्षों से कुवैत में नौकरी कर रहा था और वहां भी उसने खुद को भारतीय नागरिक बताकर अपने भारतीय पासपोर्ट का नवीनीकरण किया। इसी नकली पासपोर्ट का उपयोग कर उसने कुवैत में नौकरी प्राप्त की और कोलकाता में संपत्ति भी खरीदी।
इस समय, पुलिस यह जांच कर रही है कि इस बांग्लादेशी नागरिक ने भारतीय नागरिकता के दस्तावेज कैसे प्राप्त किए और बार-बार अंतरराष्ट्रीय यात्राएं कैसे कीं। यह मामला भारतीय आव्रजन और पासपोर्ट प्रणाली में संदेह उत्पन्न करता है। उसे अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने और बिना अनुमति के रहने के आरोप में हिरासत में लिया गया है और अब उसे डिपोर्ट करने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है।