क्या ईडी ने पूर्व आयुक्त अनिल पवार की 71 करोड़ की संपत्ति जब्त की?

सारांश
Key Takeaways
- ईडी ने 71 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की।
- अनिल पवार अवैध निर्माण से जुड़े हैं।
- बॉम्बे हाईकोर्ट ने इमारतों को गिराने का आदेश दिया।
- भ्रष्टाचार के आरोपों में अन्य अधिकारियों की भी जांच जारी है।
- मामले में आगे की कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है।
मुंबई, 14 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के तहत एक महत्वपूर्ण कार्रवाई करते हुए पूर्व आयुक्त अनिल पवार, सीताराम गुप्ता और अन्य आरोपियों की 71 करोड़ रुपए की अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया है।
यह कार्रवाई मीरा-भायंदर पुलिस आयुक्तालय द्वारा दर्ज कई प्राथमिकी के आधार पर की गई है। ये मामले वसई-विरार सिटी म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (वीवीसीएमसी) क्षेत्र में सरकारी और निजी जमीन पर अवैध निर्माण से जुड़े हैं, जो वर्ष 2009 से चल रहे थे।
जांच में यह पाया गया कि वसई-विरार नगर निगम की स्वीकृत विकास योजना के अनुसार, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और डंपिंग ग्राउंड के लिए आरक्षित भूमि पर कुल 41 अवैध आवासीय और व्यावसायिक इमारतें बनाई गईं।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 8 जुलाई 2024 को इन सभी इमारतों को गिराने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ निवासियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका (एसएलपी) दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद 20 फरवरी 2025 को वीवीसीएमसी ने सभी 41 इमारतों को ध्वस्त कर दिया।
ईडी की जांच में यह भी पता चला कि वीवीसीएमसी के अधिकारी, टाउन प्लानिंग विभाग के इंजीनियर, आर्किटेक्ट्स, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और लायजनर्स की मिलीभगत से एक संगठित भ्रष्टाचार का गिरोह काम कर रहा था।
इस गिरोह का नेतृत्व अनिल पवार (तत्कालीन आयुक्त) कर रहे थे। उन्होंने अवैध निर्माणों को संरक्षण देने और कार्रवाई से बचाने के बदले रिश्वत की तय दर निर्धारित कर रखी थी।
जांच के अनुसार, अवैध इमारतों पर प्रति वर्ग फुट 150 रुपए की दर से कमीशन लिया जाता था, जिसमें से 50 रुपए प्रति वर्ग फुट सीधे अनिल पवार को दिया जाता था।
टाउन प्लानिंग विभाग में भी पवार ने मंजूरी देने के लिए रिश्वत की दर तय की थी, जिसमें अर्बन जोन में 20-25 रुपए प्रति वर्ग फुट और ग्रीन जोन में 62 रुपए प्रति वर्ग फुट शामिल थे।
ईडी की जांच में यह भी सामने आया कि इस तरीके से अनिल पवार ने कुल 169 करोड़ रुपए का अवैध धन अर्जित किया।
13 जुलाई 2025 को ईडी ने अनिल पवार (आईएएस) सहित तीन अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया था। फिलहाल सभी न्यायिक हिरासत में हैं।
10 अक्टूबर को इस मामले में प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट (चार्जशीट) दाखिल की गई है, जिस पर पीएमएलए विशेष अदालत की संज्ञान प्रक्रिया लंबित है।
ईडी की जांच में पता चला कि अनिल पवार ने रिश्वत से अर्जित धन को कई बेनामी संस्थाओं और परिजनों के नाम पर निवेश किया।
उन्होंने यह रकम सोना, हीरे और मोतियों के गहने खरीदने, महंगी साड़ियां, गोदाम, फार्महाउस और पत्नी के नाम से शुरू किए गए आवासीय प्रोजेक्ट्स में लगाई। कुल 44 करोड़ रुपए मूल्य की संपत्ति को अब ईडी ने जब्त कर लिया है।
इससे पहले ईडी ने कई सर्च ऑपरेशन में 8.94 करोड़ रुपए नकद, 23.25 करोड़ रुपए मूल्य के हीरे जड़े जेवर और बुलियन के अलावा बैंक बैलेंस, शेयर, म्यूचुअल फंड और एफडी 13.86 करोड़ मूल्य के जब्त किए थे।
ईडी ने कहा है कि आगे की जांच जारी है और इसमें जुड़े अन्य अधिकारियों और बिल्डरों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।