क्या महाविकास आघाड़ी ने चुनाव आयोग से पारदर्शी चुनाव की मांग की?

सारांश
Key Takeaways
- पारदर्शिता चुनावों में आवश्यक है।
- राज ठाकरे ने मतदाता सूची में गड़बड़ी पर सवाल उठाए।
- उद्धव ठाकरे ने चुनाव प्रक्रिया में सुधार की मांग की।
- विरोधी दलों की एकजुटता से चुनाव में सुधार संभव हो सकता है।
- राजनीतिक दलों को पारदर्शी पंजीकरण प्रक्रिया की जरूरत है।
मुंबई, 15 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। इस संदर्भ में, महाविकास आघाड़ी (एमवीए) का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को राज्य चुनाव आयोग और मुख्य निर्वाचन अधिकारी से मिला। इस प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग करते हुए ‘वोट चोरी’ के आरोपों की जांच की अपील की।
बैठक के दौरान, विपक्षी दलों ने यह कहा कि चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आने वाले स्थानीय निकाय चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हों।
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी और राज्य चुनाव आयुक्त के साथ बैठक में भाग लिया। इस बैठक में मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने हाल के विधानसभा चुनावों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यदि मतदाता सूची में गड़बड़ी है, तो इसे सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत किया जाना चाहिए, लेकिन ऐसी खामियों वाले चुनाव को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
राज ठाकरे ने आयोग से चुनाव को आगे बढ़ाने की मांग करते हुए कहा कि जब तक सभी दल मतदाता सूची और प्रक्रिया पर आम सहमति नहीं बनाते, तब तक चुनाव को टालना ही उचित होगा। उन्होंने कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट के चुनाव परिणामों का उदाहरण दिया।
उद्धव ठाकरे ने भी आयोग पर निशाना साधते हुए कहा, "यदि चुनाव गलतियों के साथ ही होने हैं, तो फिर चुनाव का क्या मतलब है? सीधे चुनाव की बजाय चयन प्रक्रिया कर दीजिए।"
उन्होंने यह भी कहा कि आयोग को जनता के सामने सच्चाई रखनी चाहिए और यदि गड़बड़ियां साबित होती हैं, तो चुनाव को रद्द कर देना चाहिए।
कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट ने कहा कि विधानसभा चुनावों के दौरान उन्होंने कई कमियों का उल्लेख किया था, लेकिन उन्हें दूर नहीं किया गया। उन्होंने कहा, "अब जब स्थानीय निकाय चुनाव नजदीक हैं, वही गलतियाँ दोहराई जा रही हैं। हम बार-बार शिकायत करते हैं, लेकिन सुनवाई नहीं होती।"
थोराट ने कहा कि राजनीतिक दलों से पिछले मतदाता सूचियाँ छिपाई जा रही हैं और मतदाता पंजीकरण प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है।