क्या मुंबई नेवी बेस से हथियार चोरी का मामला गंभीर है?

सारांश
Key Takeaways
- मुंबई के नेवी बेस से ४० जिंदा कारतूस और राइफल चोरी हुई।
- क्राइम ब्रांच ने घटनास्थल पर क्राइम सीन को रीक्रिएट किया।
- आरोपियों ने सुरक्षा गार्ड को धोखा दिया।
- हथियार नक्सलियों को बेचने की योजना थी।
- आरोपियों के मोबाइल फोन और कॉल डिटेल्स की जांच की जा रही है।
मुंबई, १३ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। मुंबई के नेवी बेस से राइफल और ४० जिंदा कारतूस चोरी करने के मामले में मुंबई क्राइम ब्रांच ने अपनी जांच को और तेज कर दिया है। इसी क्रम में, क्राइम ब्रांच की एक टीम ने आरोपी राकेश और उमेश के साथ-साथ शिकायतकर्ता जूनियर सेलर को लेकर नेवी नगर में घटनास्थल पर पहुंचकर लगभग तीन घंटे तक न केवल स्पॉट पंचनामा किया, बल्कि क्राइम सीन को भी रीक्रिएट किया।
क्राइम ब्रांच के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस कार्रवाई की पुष्टि करते हुए कहा कि इस दौरान जांच टीम ने कई महत्वपूर्ण साक्ष्य और तकनीकी सबूत इकट्ठा किए हैं। दोनों आरोपियों को उन स्थलों पर ले जाकर पूछताछ की गई, जो इस मामले से सीधे जुड़े थे। जांच के दौरान आरोपी उमेश को नेवी बेस के बाहर उन स्थानों पर भी ले जाया गया, जहां वह ठहरता और आता-जाता था। अधिकारियों के अनुसार, इस कार्रवाई से केस से संबंधित कई महत्वपूर्ण तकनीकी सबूत प्राप्त हुए हैं, जो मामले को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी राकेश ने नेवी बेस में प्रवेश करते समय सुरक्षा गेट पर आईएनएस गरुड़ा का आइकार्ड दिखाया था। उसने यह आइकार्ड अपनी पर्स के अंदर से ही महिला सुरक्षा गार्ड को दिखाया और बिना बाहर निकाले ही अंदर चला गया। गार्ड को उसके असली इरादों की भनक तक नहीं लगी और उसने उसे बेस में प्रवेश की अनुमति दे दी। इस संबंध में महिला गार्ड का बयान भी दर्ज किया गया है। अधिकारियों के अनुसार, राकेश पहले भी मुंबई नेवी बेस पर ड्यूटी कर चुका था, इसलिए उसे परिसर की पूरी जानकारी थी।
दूसरी ओर, शिकायतकर्ता जूनियर सेलर आरोपी राकेश से एक वर्ष जूनियर है। हालांकि, क्राइम ब्रांच ने उसे अब तक क्लीन चिट नहीं दी है और पिछले दो दिनों से लगातार उससे पूछताछ की जा रही है। जांच में यह सामने आया है कि आरोपियों की लोकेशन ट्रेस होने के बाद क्राइम ब्रांच की टीम महज नौ घंटे में उनके पास पहुंच गई थी।
अब तक की जांच में इस बात के सबूत मिले हैं कि आरोपी चोरी किए गए हथियार नक्सलियों को बेचने की योजना बना रहे थे, क्योंकि एल्गापल्ली का क्षेत्र नक्सल प्रभावित है और आरोपी उमेश लगातार उनके संपर्क में था। फिलहाल, क्राइम ब्रांच आरोपियों के मोबाइल फोन और कॉल डिटेल्स की जांच करने में जुट गई है।