क्या धर्म की पहचान जताना अधिकार है, लेकिन मकसद साफ होना चाहिए? नेमप्लेट विवाद पर बोले इदरीस नाइकवाड़ी

Click to start listening
क्या धर्म की पहचान जताना अधिकार है, लेकिन मकसद साफ होना चाहिए? नेमप्लेट विवाद पर बोले इदरीस नाइकवाड़ी

सारांश

कांवड़ यात्रा के नेमप्लेट विवाद पर इदरीस नाइकवाड़ी ने महत्वपूर्ण बातें कहीं। उन्होंने कहा कि धर्म की पहचान जताना सभी का अधिकार है, लेकिन यदि यह दूसरे समुदायों को निशाना बनाता है, तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए। जानिए इस मुद्दे पर उनकी पूरी राय।

Key Takeaways

  • धर्म की पहचान जताना सभी का अधिकार है।
  • उद्देश्य स्पष्ट होना चाहिए।
  • धार्मिक पहचान का राजनीतिक उपयोग खतरनाक हो सकता है।
  • सभी धर्मों के प्रति सहिष्णुता आवश्यक है।
  • कानून का सम्मान करना हर नागरिक का कर्तव्य है।

मुंबई, 10 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। कांवड़ यात्रा के नेमप्लेट विवाद पर देशभर में बहस छिड़ी हुई है। धार्मिक पहचान से जुड़े मुद्दों पर बढ़ते राजनीतिक बयानों के बीच, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के वरिष्ठ नेता और विधान परिषद सदस्य इदरीस नाइकवाड़ी ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति या संगठन को अपने धर्म की पहचान व्यक्त करने का अधिकार है, लेकिन जब यह पहचान दूसरे धर्म या समुदाय को लक्ष्य बनाने का साधन बन जाए, तो उस पर गहराई से विचार करना आवश्यक है।

समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से एक विशेष बातचीत में, इदरीस नाइकवाड़ी ने कांवड़ यात्रा के दौरान नेम प्लेट लगाने के विवाद पर अपनी राय रखते हुए कहा कि मैं स्पष्ट रूप से कहता हूं कि किसी को अपने धर्म की पहचान प्रदर्शित करने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। कोई कहे कि मैं हिंदू हूं, मुस्लिम हूं, सिख हूं या क्रिश्चियन – यह उनका व्यक्तिगत अधिकार है। लेकिन सवाल यह है कि अचानक इन बोर्ड्स की आवश्यकता क्यों महसूस हुई? इसका उद्देश्य क्या है?

उन्होंने संदेह जताया कि इस प्रकार के बोर्ड लगाकर कुछ संगठन अपनी धार्मिक बहुसंख्या को प्रदर्शित करना चाहते हैं, जिससे समाज में यह संदेश जाए कि 'हम बहुसंख्यक हैं और हम देश को अपनी सोच के अनुसार चलाएंगे'। उन्होंने इसे एक खतरनाक प्रवृत्ति बताया और कहा कि यदि उद्देश्य स्पष्ट न हो, तो धर्म भी राजनीति का उपकरण बन सकता है।

नाइकवाड़ी ने कहा कि यदि ऐसा कदम सिर्फ धार्मिक भावना से उठाया जा रहा है, तो उसे कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि, यदि इसका इस्तेमाल अन्य समुदायों को डराने या नीचा दिखाने के लिए किया जा रहा है, तो यह समाज को विभाजित करने वाला है।

उन्होंने कहा कि इस देश में सभी धर्मों के लोग जन्म लेते हैं, यह कोई विकल्प नहीं होता, बल्कि प्रकृति का नियम है। ऐसे में अपने धर्म की पहचान व्यक्त करने की अचानक क्या आवश्यकता हुई, यह सवाल उठता है।

उत्तराखंड में कुछ हिंदू संगठनों द्वारा यह कहे जाने पर कि कांवड़ यात्रा मार्ग में मुस्लिम नहीं दिखाई देने चाहिए, इदरीस नाइकवाड़ी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि कानून में ऐसी कोई पाबंदी नहीं है कि कोई व्यक्ति किसी विशेष मार्ग से न गुजर सके। यदि कोई संगठन ऐसा कह रहा है, तो यह कानून व्यवस्था को चुनौती देने जैसा है।

उन्होंने आगे कहा कि इन संगठनों की विचारधारा प्रदूषित है, जो देश को विभाजित करना चाहती है। उन्होंने विश्वास जताया कि सरकार कानून व्यवस्था बनाए रखने में सक्षम है, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि ऐसी मानसिकता को कानून के दायरे में लाकर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।

Point of View

बल्कि यह समाज में एकता और विविधता के मूल्यों को भी प्रभावित करता है। नाइकवाड़ी की बातें इस बात की ओर इशारा करती हैं कि हमें समाज में सहिष्णुता और एकता बनाए रखने के लिए, धार्मिक पहचान को सही तरीके से समझना चाहिए।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

क्या धर्म की पहचान जताना आवश्यक है?
धर्म की पहचान जताना व्यक्तिगत अधिकार है, लेकिन इसका उपयोग अन्य समुदायों को निशाना बनाने के लिए नहीं होना चाहिए।
नेमप्लेट विवाद पर इदरीस नाइकवाड़ी का क्या कहना है?
उन्होंने कहा कि धर्म की पहचान दिखाने में कोई एतराज नहीं है, लेकिन इसका उद्देश्य साफ होना चाहिए।
क्या कांवड़ यात्रा के दौरान मुस्लिमों को नहीं दिखने का निर्देश है?
इदरीस नाइकवाड़ी ने इसे कानून व्यवस्था की चुनौती बताया है।
धर्म का राजनीतिक उपयोग कैसे होता है?
जब धार्मिक पहचान का उपयोग दूसरे समुदायों को डराने या नीचा दिखाने के लिए किया जाता है, तो यह राजनीति का उपकरण बन जाता है।
क्या समाज में सहिष्णुता बनाए रखना जरूरी है?
हाँ, सभी धर्मों के लोगों के बीच सहिष्णुता और एकता बनाए रखना आवश्यक है।