क्या नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की चार्जशीट पर कोर्ट का फैसला 29 जुलाई तक सुरक्षित है?

सारांश
Key Takeaways
- नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामला कांग्रेस के नेताओं पर गंभीर आरोपों को दर्शाता है।
- ईडी की चार्जशीट पर कोर्ट का फैसला 29 जुलाई तक सुरक्षित है।
- सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित कई नेता शामिल हैं।
- अभियोजन शिकायत में सार्वजनिक संपत्तियों के दुरुपयोग के आरोप हैं।
- यंग इंडियन की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
नई दिल्ली, 14 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा प्रस्तुत अभियोजन शिकायत (प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट) पर दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार को अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया।
यह हाई-प्रोफाइल मामला कांग्रेस की संसदीय दल के अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस प्रवासी विभाग के प्रमुख सैम पित्रोदा, सुमन दुबे सहित अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज है।
विशेष न्यायाधीश (पीसी एक्ट) विशाल गोगने ने केंद्रीय एजेंसी और मामले में प्रस्तावित आरोपियों की दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रखते हुए 29 जुलाई की तारीख तय की है।
ईडी ने कोर्ट में दावा किया कि कांग्रेस नेतृत्व ने नेशनल हेराल्ड अखबार की प्रकाशक कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की 2000 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्तियों को गलत तरीके से हासिल करने के लिए यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड का इस्तेमाल किया।
ईडी का आरोप है कि कांग्रेस ने एजेएल को दिए 90.25 करोड़ रुपए के कर्ज को चुकाने के लिए यंग इंडियन को मात्र 50 लाख रुपये में हस्तांतरित कर दिया गया, जो एक बड़ी साजिश का हिस्सा था।
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस.वी. राजू ने कोर्ट में कहा कि इस सौदे के जरिए कांग्रेस नेताओं ने सार्वजनिक संपत्ति को निजी लाभ के लिए हड़पने की कोशिश की।
ईडी ने यह भी दावा किया कि कांग्रेस को दान देने वालों में से कुछ को पार्टी ने टिकट दिए, जिससे दानदाताओं के साथ धोखाधड़ी का संकेत मिलता है।
इसके जवाब में, सोनिया गांधी की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि यह मामला "बिना पैसे के हस्तांतरण और संपत्ति के लेन-देन" के आधार पर बनाया गया है, जो कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं है।
उन्होंने कहा कि यंग इंडियन एक गैर-लाभकारी कंपनी है, जिसमें कोई लाभांश या व्यावसायिक लेन-देन संभव नहीं है। कोर्ट ने 2 जुलाई से इस मामले की रोजाना सुनवाई की। ईडी ने अपनी दलीलें पूरी कीं, जबकि आरोपियों ने जवाब में अपनी सफाई पेश की।