क्या गरबा और डांडिया जैसे आयोजनों में धार्मिक परंपराओं का पालन अनिवार्य है?

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क्या गरबा और डांडिया जैसे आयोजनों में धार्मिक परंपराओं का पालन अनिवार्य है?

सारांश

विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता श्रीराज नायर ने नवरात्रि उत्सव को लेकर अद्भुत जानकारी साझा की है। उन्होंने बताया कि यह पर्व मां दुर्गा की भक्ति और अनुष्ठान से जुड़ा है। इसमें धार्मिक परंपराओं का पालन और शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर भी ध्यान दिया गया है।

Key Takeaways

  • नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा की भक्ति का प्रतीक है।
  • धार्मिक परंपराओं का पालन अनिवार्य है।
  • शिक्षा प्रणाली में भगवद गीता का समावेश आवश्यक है।
  • सच्ची पहचान धर्म और संस्कृति में निहित है।
  • नैतिक मूल्यों का विकास बच्चों के लिए आवश्यक है।

नई दिल्ली, 21 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीराज नायर ने नवरात्रि उत्सव के संबंध में स्पष्ट किया कि यह कोई साधारण मनोरंजन कार्यक्रम नहीं है, बल्कि मां दुर्गा की भक्ति और अनुष्ठान से जुड़ा हुआ एक पवित्र पर्व है।

उन्होंने यह भी बताया कि गरबा और डांडिया जैसे आयोजनों में धार्मिक परंपराओं का पालन करना आवश्यक है। नवरात्रि के दौरान गरबा से पूर्व मां दुर्गा की आरती और समापन पर पुनः पूजा की परंपरा होती है, जो इस उत्सव की धार्मिक गरिमा को दर्शाती है।

श्रीराज नायर ने इस बात पर जोर दिया कि नवरात्रि में केवल वे लोग शामिल हों, जो हिंदू धर्म और मूर्ति पूजा में विश्वास रखते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि जो लोग इन मान्यताओं का सम्मान नहीं करते, उनके लिए इस पवित्र आयोजन में भाग लेना उचित नहीं है। हालांकि, उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास के साथ अपने परिवार के साथ इस उत्सव में शामिल होता है, तो उसका स्वागत है। विहिप ने सभी आयोजकों को यह अनुरोध किया है कि वे नवरात्रि की धार्मिक मर्यादा और पवित्रता को बनाए रखें।

इसके अलावा, श्रीराज नायर ने ओडिशा सरकार के स्कूल पाठ्यक्रम में भगवद गीता को शामिल करने के प्रस्ताव का समर्थन किया।

उन्होंने कहा कि भारत का गौरवशाली इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर बच्चों को पढ़ाई जानी चाहिए। गीता, रामायण, वेद और पुराण जैसे ग्रंथों की शिक्षा से बच्चों में नैतिक मूल्यों, संस्कारों और आत्मविश्वास का विकास होगा।

उन्होंने मौजूदा शिक्षा प्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि बच्चों को अब तक अकबर और औरंगजेब जैसे आक्रांताओं का इतिहास पढ़ाया जाता रहा है, जो उचित नहीं है।

उन्होंने जोर दिया कि भारत की सच्ची पहचान उसके धर्म, शास्त्र और संस्कृति में निहित है। इन ग्रंथों की शिक्षा से नई पीढ़ी में देश के प्रति गर्व और नैतिक बल का संचार होगा।

उन्होंने कहा कि भगवद गीता जैसे ग्रंथ न केवल आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करते हैं, बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं में मार्गदर्शन भी करते हैं। विश्व हिंदू परिषद इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए ओडिशा सरकार की सराहना करता है। ऐसी शिक्षा प्रणाली से बच्चों में सकारात्मक सोच और देशभक्ति की भावना जागृत होगी, जो भारत को और सशक्त बनाएगी।

Point of View

बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों के संरक्षण के लिए होना चाहिए। हमें अपने युवाओं को सही दिशा में मार्गदर्शन करना चाहिए ताकि वे अपनी जड़ों को पहचान सकें।
NationPress
21/09/2025

Frequently Asked Questions

नवरात्रि उत्सव का महत्व क्या है?
नवरात्रि उत्सव मां दुर्गा की भक्ति और अनुष्ठान से जुड़ा एक पवित्र पर्व है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित करता है।
गरबा और डांडिया में धार्मिक परंपराओं का पालन क्यों आवश्यक है?
यह परंपरा उत्सव की धार्मिक गरिमा को बनाए रखती है और भक्तों को सही मार्ग पर चलने में मदद करती है।
भगवद गीता को पाठ्यक्रम में शामिल करने का क्या लाभ है?
गीता बच्चों में नैतिक मूल्यों और आत्मविश्वास का विकास करती है, जिससे वे जीवन में सही निर्णय ले सकें।