क्या नए साल पर युवाओं में धार्मिक पर्यटन का रुझान बढ़ा है? काशी, मथुरा, अयोध्या में लाखों की संख्या में पहुंच रहे युवा
सारांश
Key Takeaways
- नए साल पर युवा धार्मिक स्थलों की ओर बढ़ रहे हैं।
- काशी, मथुरा और अयोध्या में लाखों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।
- प्रशासन ने विशेष सुरक्षा प्रबंध किए हैं।
- सोशल मीडिया पर धार्मिक पर्यटन का रुझान बढ़ा है।
- युवाओं में आध्यात्मिक उत्साह का संचार हुआ है।
लखनऊ, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। नए साल का जश्न मनाने के लिए युवा काशी, मथुरा और अयोध्या की ओर बढ़ रहे हैं। पिछले नौ वर्षों में उत्तर प्रदेश में धार्मिक और पर्यटन स्थलों के विकास का जो परिणाम सामने आया है, उसके चलते युवा लाखों की संख्या में काशी, मथुरा-वृंदावन और अयोध्या में नए साल की शुरुआत अपने इष्ट का दर्शन-पूजन कर रहे हैं।
यह एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की लहर है जिसमें न केवल प्रदेश के बल्कि देशभर के युवा, लड़के-लड़कियां नए जोश और उत्साह के साथ शामिल हो रहे हैं।
पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष नए साल के आगमन से पहले ही प्रदेश के प्रमुख तीर्थ स्थलों जैसे काशी, अयोध्या, मथुरा-वृंदावन और प्रयागराज में लाखों युवा पर्यटक पहुंच चुके हैं। 29-30 दिसंबर को ही अयोध्या में भगवान श्रीराम के दर्शन हेतु 5 लाख से अधिक पर्यटक पहुंचे, जबकि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में पिछले तीन दिनों में 10 लाख और मथुरा में 3 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन पूजन किया। इनमें युवा पर्यटकों की संख्या सबसे अधिक रही।
31 दिसंबर और 01 जनवरी को और अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है, जिसे देखते हुए प्रशासन ने विशेष सुरक्षा प्रबंध किए हैं और सुविधाओं के लिए गाइडलाइन भी जारी की हैं।
नए साल का जश्न धर्म स्थलों में मनाने का युवाओं का यह रुझान सोशल मीडिया पर भी देखने को मिल रहा है। जहां न्यू ईयर 2026 इन अयोध्या, न्यू ईयर 2026 इन काशी या स्पिरिचुअल न्यू ईयर जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। युवा नए साल के जश्न में इन धार्मिक स्थलों पर दर्शन पूजन कर दोस्तों और परिवारजनों के साथ सेल्फी अपलोड कर रहे हैं। यही रुझान पिछले वर्ष प्रयागराज में आयोजित दिव्य-भव्य महाकुंभ में भी देखने को मिला था, जिसमें न केवल देश बल्कि विश्व के कोने-कोने से श्रद्धालुओं और पर्यटकों ने आकर विश्व रिकॉर्ड कायम किया था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश में धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार और सांस्कृतिक पुनरुत्थान ने युवाओं के मन में आध्यात्मिक उत्साह और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की अलख जगाई है। काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी, विश्व भूषण मिश्र का कहना है कि सनातन संस्कृति उत्सव, उत्साह एवं उल्लास की आश्रयस्थली है। विश्व के समस्त उत्सव सनातन मान्यता में उत्कर्ष प्राप्त करते हैं। लोक उत्सव प्रायः तात्कालिक सत्ता के आचरण को प्रतिबिंबित करता है। अतः स्वाभाविक है कि वर्तमान काल में प्रत्येक पर्व पर चाहे वह भारतीय हो अथवा पश्चिम का पर्व, सनातन आस्था के केंद्रों पर श्रद्धालुओं का प्रवाह अभूतपूर्व है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से अयोध्या में भव्य राम मंदिर का उद्घाटन, वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण और मथुरा-वृंदावन, तीर्थराज प्रयागराज, विंध्याचल, नैमिषारण्य, संभल और मुजफ्फरनगर में शुक्रतीर्थ (शुक्रताल) समेत प्रदेश के पुरातन मंदिरों का जीर्णोद्धार हुआ है, जिससे विशेष तौर पर युवाओं में सनातन संस्कृति और अपनी परंपराओं के प्रति नई ऊर्जा का संचार हुआ है।
प्रमुख तीर्थों और धार्मिक स्थलों तक सड़क, रेल और हवाई कनेक्टिविटी के साथ वहां रुकने-ठहरने, होटल और रेस्टोरेंट गतिविधियों का विकास हुआ है। प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति विभाग की ओर से समय-समय पर दिव्य-भव्य उत्सवों का आयोजन किया जाता है, जिससे प्रदेश के युवाओं में सनातन संस्कृति के तीर्थों और धर्म स्थलों के प्रति आकर्षण बढ़ा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इन प्रयासों ने न केवल प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा दिया है, बल्कि युवाओं को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने का अवसर भी प्रदान किया है।