क्या नोएडा अथॉरिटी और गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय मिलकर दो अत्याधुनिक ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ बनाएंगे?
सारांश
Key Takeaways
- नोएडा और जीबीयू के बीच साझेदारी से रिसर्च एंड डेवलपमेंट में तेजी आएगी।
- दोहरे सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना से क्षेत्रीय विकास होगा।
- सेंटर फॉर सेमीकॉन रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी सेमीकंडक्टर क्षेत्र को मजबूती देगा।
- सेंटर फॉर ड्रग डिस्कवरी कैंसर उपचार में नई दवाएं विकसित करेगा।
- इस पहल से युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
नोएडा, 6 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को रिसर्च और डेवलपमेंट का वैश्विक केंद्र बनाने के लिए नोएडा अथॉरिटी और गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय (जीबीयू) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। जीबीयू के उच्च स्तरीय प्रतिनिधियों ने नोएडा अथॉरिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. लोकेश एम से मुलाकात की।
इस बैठक में दोनों संस्थानों के बीच दो अत्याधुनिक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने पर समझौता हुआ। ये प्रमुख शोध केंद्र जीबीयू परिसर में स्थापित किए जाएंगे। सेंटर फॉर सेमीकॉन रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी (सीएसआरटी) सेमीकंडक्टर तकनीकी और माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स में उच्च स्तरीय शोध, तकनीकी नवाचार और उद्योग संबंधों को बढ़ावा देगा।
भारत में चिप उत्पादन और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण की तेजी से बढ़ती क्षमता को देखते हुए, यह केंद्र क्षेत्र और देश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। सेंटर फॉर ड्रग डिस्कवरी एंड डेवलपमेंट कैंसर उपचार और बायोटेक्नोलॉजी में नई दवाओं के विकास पर केंद्रित रहेगा। अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं और वैज्ञानिक सहयोग से यह केंद्र चिकित्सा विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
इस साझेदारी के माध्यम से नोएडा क्षेत्र को उच्च कौशल आधारित रोजगार, तकनीकी स्टार्टअप, अंतरराष्ट्रीय शोध सहयोग और उद्योग निवेश का लाभ मिलेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल एनसीआर को सेमीकंडक्टर और बायोटेक्नोलॉजी में देश का प्रमुख नवाचार केंद्र बना सकती है। इस बैठक में जीबीयू की ओर से रजिस्ट्रार डॉ. विश्वास त्रिपाठी, डीन अकादमिक्स प्रो. राजीव वर्मा, डीन स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी डॉ. एस. धनलक्ष्मी, हेड स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी डॉ. रेखा पूरिया, हेड स्कूल ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन डॉ. विदुषी शर्मा और डॉ. मंगल दास उपस्थित थे।
दोनों संस्थान जल्द ही फंडिंग पैटर्न और भागीदारी मॉडल पर अंतिम निर्णय लेंगे। विश्वविद्यालय की टीम संबंधित हितधारकों के साथ परामर्श कर वित्तीय मॉडल और राजस्व संरचना पर एक विस्तृत रिपोर्ट भी तैयार करेगी, जिससे यह परियोजना लंबे समय तक वित्तीय रूप से टिकाऊ और प्रभावी रूप से संचालित हो सके।