क्या ओडिशा में प्राकृतिक संसाधनों की लूट हो रही है? मल्लिकार्जुन खड़गे का आरोप

सारांश
Key Takeaways
- आदिवासियों के अधिकारों की सुरक्षा पर ध्यान देना आवश्यक है।
- प्राकृतिक संसाधनों का संतुलित उपयोग होना चाहिए।
- कांग्रेस ने ओडिशा में ऐतिहासिक विकास कार्य किए हैं।
भुवनेश्वर, 11 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के बारामुंडा मैदान में ‘संविधान बचाओ’ जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ओडिशा के प्रमुख नेताओं उत्कलमणि गोपबंधु दास, बैरिस्टर मधुसूदन दास और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
कांग्रेस शासनकाल के दौरान ओडिशा में हुए विकास का उल्लेख करते हुए खड़गे ने कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पारादीप बंदरगाह, राउरकेला इस्पात संयंत्र, हीराकुंड बांध, नाल्को, एनटीपीसी, चिल्का नौसेना अकादमी, मंचेश्वर में रेल कोच फैक्टरी, कोरापुट में एचएएल और आयुध फैक्टरी सभी कांग्रेस सरकार के दौरान स्थापित किए गए थे।
उन्होंने आगे कहा कि एम्स भुवनेश्वर, एनआईएसईआर, और इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स जैसे प्रमुख शैक्षणिक और शोध संस्थान भी कांग्रेस की पहल से स्थापित किए गए थे। हमने केबीके जिलों कालाहांडी, बोलनगीर, और कोरापुट के लिए भी परिवर्तनकारी योजनाओं का निर्माण किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा निशाना साधते हुए खड़गे ने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर ओडिशा की संपत्ति को कॉरपोरेट को सौंपने का आरोप लगाया।
उन्होंने सवाल उठाया कि प्राकृतिक संसाधनों के मामले में समृद्ध ओडिशा में आदिवासी आबादी में इतनी गरीबी क्यों है। मार्च 2000 के बाद से कांग्रेस यहां सत्ता में नहीं रही है, फिर भी आदिवासी समुदाय की स्थिति में सुधार क्यों नहीं हुआ है।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी सरकार पर संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने और उन्हें भाजपा के इशारों पर चलाने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "ये सभी संस्थाएं संविधान के अनुसार नहीं, बल्कि मोदी-शाह के इशारों पर चलती हैं।"
खड़गे ने जनसभा में कहा कि ओडिशा के लिए भाजपा का योगदान शून्य है और हमें इन लोगों को मिलकर सबक सिखाना होगा। जिस फॉरेस्ट एक्ट को कांग्रेस 2006 में लाई थी, आज मोदी सरकार उसे कमजोर कर रही है।
खड़गे ने महाराष्ट्र और बिहार की हालिया घटनाओं का हवाला देते हुए चुनावी धांधली पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, "बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले गरीबों और उत्पीड़ितों के मताधिकार छीने जा रहे हैं।"
हालांकि खड़गे ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप का स्वागत किया, जिसने चुनाव आयोग के फैसलों पर सवाल उठाया।