क्या ओडिशा पीसीसी प्रमुख भक्त चरण दास ने सीईसी के दौरे पर सवाल उठाए?
सारांश
Key Takeaways
- लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए निष्पक्ष चुनाव अनिवार्य हैं।
- मतदाता सूची में नामों का हनन एक गंभीर समस्या है।
- सीईसी को अपनी जिम्मेदारियों को समझना चाहिए।
- भगवान जगन्नाथ का महत्व धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से है।
- राजनीतिक आरोपों की निष्पक्ष जांच आवश्यक है।
भुवनेश्वर, 27 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी (ओपीसीसी) के अध्यक्ष भक्त चरण दास ने शनिवार को मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार के ओडिशा के तीन दिवसीय दौरे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। भक्त चरण दास ने यह आरोप लगाया कि वर्तमान निर्वाचन आयोग सत्तारूढ़ भाजपा के पक्ष में काम कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान आयोग के कार्यकाल में कई राज्यों में मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं, जिससे नागरिकों के संविधानिक मतदान अधिकारों का हनन हुआ है। उन्होंने बताया कि बिहार में लगभग 65 लाख मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए, जबकि उत्तर प्रदेश में अदालत के आदेशों के बाद लगभग 3 करोड़ नामों को कथित तौर पर मतदाता सूची से बाहर कर दिया गया।
भक्त चरण दास ने आगे कहा कि इस प्रकार की प्रक्रिया अन्य राज्यों में भी अपनाई जा रही है। उन्होंने इसे लोकतंत्र को कमजोर करने और गरीबों के अधिकार छीनने की एक साजिश बताया।
सीईसी के पुरी दौरे और भगवान जगन्नाथ के दर्शन को लेकर भी दास ने कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि इस तरह के कथित गलत कामों के बाद रोज़ भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने से कोई पाप धुलने वाला नहीं है। भगवान जगन्नाथ पूरे ब्रह्मांड के स्वामी हैं और सब कुछ देखते हैं। ऐसे में इन लोगों के पाप यूं ही समाप्त नहीं होंगे।
भक्त चरण दास ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त से नैतिक जिम्मेदारी लेने की मांग करते हुए कहा कि यदि वे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित नहीं कर सकते, तो उन्हें पद छोड़ देना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि सीईसी को हकीकत स्वीकार करनी चाहिए। उन्हें अपनी गलतियों को सुधारना चाहिए और आवश्यकता पड़ने पर इस्तीफा देकर जनता का भरोसा बहाल करना चाहिए, ताकि आगामी चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से कराए जा सकें।