क्या ओडिशा में 'स्वच्छता ही सेवा' अभियान ने धर्मेंद्र प्रधान की अपील को प्रभावी बनाया?

सारांश
Key Takeaways
- स्वच्छता अभियान में नागरिकों की भागीदारी महत्वपूर्ण है।
- धर्मेंद्र प्रधान ने स्वच्छ सर्वेक्षण में संबलपुर के प्रदर्शन की सराहना की।
- स्वच्छता केवल प्रशासन का कार्य नहीं, बल्कि नागरिकों का कर्तव्य है।
- सेवा पखवाड़ा का आयोजन स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने में मदद करेगा।
- 'शुगर बोर्ड' बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का एक कदम है।
संबलपुर, १४ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। ओडिशा के संबलपुर के खेत्राजपुर रेलवे स्टेशन परिसर में रविवार को 'स्वच्छता ही सेवा' अभियान के अंतर्गत एक विशेष स्वच्छता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। वहीं, पंचायती राज मंत्री रवि नारायण नायक विशिष्ट अतिथि के तौर पर शामिल हुए। दोनों नेताओं ने नागरिकों से निवेदन किया कि वे शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाए रखने में सहयोग करें।
कार्यक्रम के दौरान डीआरएम कार्यालय से खेत्राजपुर चौक तक स्वच्छता अभियान चलाया गया। इस दौरान केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने स्वयं सफाई कार्यों में भाग लिया और लोगों को यह संदेश दिया कि शहर की सफाई केवल प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है।
धर्मेंद्र प्रधान ने स्वच्छ सर्वेक्षण रैंकिंग में संबलपुर के बेहतर प्रदर्शन की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस वर्ष स्वच्छ सर्वेक्षण में संबलपुर ने पिछले वर्ष की तुलना में १०० अंक अधिक प्राप्त किए हैं। यह स्वच्छता अभियान अब पूरे देश में एक जन आंदोलन का रूप ले चुका है।
उन्होंने बताया कि आगामी १७ सितंबर से २ अक्टूबर तक पूरे देश में 'सेवा पखवाड़ा' मनाया जाएगा और संबलपुर इसके लिए पूर्ण रूप से तैयार है। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि सभी पर्व-त्योहारों और आयोजनों में स्वच्छता को प्राथमिकता दें और संबलपुर को एक आदर्श स्वच्छ शहर बनाने में सहयोग करें।
अभियान के समापन के बाद केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के स्कूली बच्चों और नागरिकों के स्वास्थ्य को सुधारने के साथ-साथ तेल की खपत को कम करने के लिए प्रोत्साहन दिया है। हमें प्रतिदिन १० ग्राम कम तेल का उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने स्कूलों में 'शुगर बोर्ड' लगाने की व्यवस्था की है।
उन्होंने कहा कि बच्चों को चॉकलेट और मीठा खाना चाहिए, लेकिन इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखते हुए 'शुगर बोर्ड' की कल्पना की गई है। मैं राज्य सरकारों से भी अनुरोध करता हूं कि सभी सरकारी स्कूलों में 'शुगर बोर्ड' लगाया जाए, ताकि बच्चों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़े।