क्या ओमप्रकाश ने हथियार छोड़कर प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से आत्मनिर्भरता पाई?

सारांश
Key Takeaways
- ओमप्रकाश साहू ने नक्सलवाद को छोड़कर प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का लाभ उठाया।
- उन्होंने मछली पालन के जरिए आत्मनिर्भरता पाई।
- यह कहानी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
- सकारात्मक परिवर्तन के लिए सही दिशा में कदम बढ़ाना आवश्यक है।
- समाज को एकजुट होकर आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
गुमला, 28 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के गुमला जिले के बसिया गांव के निवासी ओमप्रकाश साहू ने नक्सलवाद को त्यागकर केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ उठाकर आत्मनिर्भरता हासिल की है। उन्होंने हिंसा का मार्ग छोड़ते हुए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से मछली पालन का कार्य शुरू किया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में ओमप्रकाश साहू का उल्लेख किया था।
ओमप्रकाश साहू ने अपने जैसे अन्य लोगों को भी आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि शुरुआत में मुश्किलें थीं। बसिया और गुमला क्षेत्र नक्सल प्रभावित थे, जहां विकास अवरुद्ध था। 2008 से नक्सल विरोधी प्रयास शुरू हुए, जिसमें कई साथी मारे गए। 2014 से आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। तब उनके मित्र ज्योति लकड़ा ने मछली पालन का सुझाव दिया। इसके बाद उन्होंने मछली पालन का कार्य शुरू किया, जिससे उन्हें अच्छी आमदनी होने लगी। तत्पश्चात, वे प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से जुड़े और अब आत्मनिर्भर हो गए हैं।
उन्होंने क्षेत्र के युवाओं से अपील की है कि नक्सलवाद, उग्रवाद और आपराधिक प्रवृत्तियों से दूर रहें, क्योंकि इससे समुचित समाज और परिवार दोनों प्रभावित होते हैं।
गुमला की जिला मत्स्य पदाधिकारी कुसुमलता ने कहा कि 'मन की बात' कार्यक्रम में झारखंड के गुमला जिले में मछली पालन के कार्यों की सराहना की गई। यह हम सभी गुमलावासियों के लिए गर्व का विषय है और प्रेरणादायक भी है। जिस प्रकार से ओमप्रकाश साहू, ज्योति लकड़ा, लखन और अन्य ग्रामीणों ने मछली पालन को अपनी आजीविका का मुख्य साधन बनाया है, उससे वे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना रहे हैं। हमें भी अपने कार्यों को ईमानदारी से करते हुए अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना चाहिए।