क्या पैन-इंडिया साइबर फ्रॉड नेटवर्क का भंडाफोड़ हुआ? आरबीएल बैंक अधिकारी समेत 5 गिरफ्तार

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क्या पैन-इंडिया साइबर फ्रॉड नेटवर्क का भंडाफोड़ हुआ? आरबीएल बैंक अधिकारी समेत 5 गिरफ्तार

सारांश

एक संगठित साइबर धोखाधड़ी गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है, जिसमें आरबीएल बैंक के अधिकारी समेत पांच लोग गिरफ्तार किए गए हैं। यह गिरोह दुबई में बैठे हैंडलर के निर्देशों पर काम कर रहा था। कैसे उन्होंने नागरिकों को ठगा और क्या है इस गिरोह का modus operandi, जानिए इस रिपोर्ट में।

Key Takeaways

  • पैन-इंडिया साइबर फ्रॉड का भंडाफोड़ किया गया।
  • आरबीएल बैंक के अधिकारी समेत पांच आरोपी गिरफ्तार।
  • गिरोह ने फर्जी कंपनियों के माध्यम से ठगी की।
  • धोखाधड़ी के लिए क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग किया गया।
  • पुलिस कार्रवाई में 18 मोबाइल फोन और 36 सिम कार्ड बरामद हुए।

नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। अपराध शाखा की साइबर सेल ने एक विशाल साइबर धोखाधड़ी गिरोह का खुलासा किया है। यह गिरोह देशभर में फैले नेटवर्क के माध्यम से नागरिकों को धोखादुबई में स्थित एक भारतीय हैंडलर टॉम के निर्देशों पर हो रहा था। साइबर सेल की कार्रवाई में आरबीएल बैंक के एक अधिकारी सहित पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। ये आरोपी फर्जी कंपनियों का निर्माण कर तथा जाली खातों के माध्यम से ठगी की गई रकम को इधर-उधर ट्रांसफर कर रहे थे।

गिरफ्तार किए गए आरोपियों में मंजीत सिंह (28), मनश्वी (23), मनीष मेहरा (33), सोमबीर (43) और अनुप (35) शामिल हैं।

अपराध शाखा की जांच ई-एफआईआर संख्या 60000097/2025 (4/2025) दिनांक 23 जून के तहत प्रारंभ की गई थी, जिसमें नोएडा और गुरुग्राम से संचालित एक संगठित साइबर गिरोह का संलिप्तता सामने आई। तकनीकी निगरानी और डिजिटल फुटप्रिंट के आधार पर टीम ने 27 अक्टूबर को गुरुग्राम स्थित एक आवासीय परिसर में छापेमारी की। इस दौरान तीन आरोपी मंजीत, मनश्वी और सोमबीर को गिरफ्तार किया गया, जिनके पास से 10 मोबाइल फोन, एक लैपटॉप और कई चेकबुक बरामद की गईं।

जांच में खुलासा हुआ कि गिरोह के हर सदस्य की अलग-अलग भूमिका थी। मंजीत और मनश्वी फर्जी कंपनियां बनाकर कई चालू खाते खोलते थे। सोमबीर अकाउंटेंट की भूमिका में खर्च का लेखा-जोखा रखता और दुबई स्थित हैंडलर को रिपोर्ट भेजता था। मनीष मेहरा ओटीपी एक्सेस प्रदान करता और डेबिट-क्रेडिट लेनदेन को संचालित करता था, जबकि बैंक अधिकारी अनुप फर्जी खातों के खोलने में सहायता करता था और खाते फ्रीज होने या शिकायत दर्ज होने की जानकारी गिरोह को पहले ही लीक कर देता था।

प्रत्येक आरोपी को एक फर्जी खाते के बदले 1.5 लाख रुपए कमीशन दिया जाता था। पूछताछ में सामने आया कि आरोपियों ने तीन फर्जी कंपनियां बनाई और आठ चालू खाते खोले थे। इन खातों में ठगी की रकम को जमा कर कई अन्य खातों में घुमाया गया और अंततः इसे यूएसडीटी क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर अंतरराष्ट्रीय ट्रांसफर के लिए उपयोग किया गया।

आरोपियों के कब्जे से 18 मोबाइल फोन, 36 सिम कार्ड, 3 डेबिट/क्रेडिट कार्ड, कई बैंकों की चेकबुक और एक लैपटॉप बरामद हुआ। बरामद लैपटॉप से यूएसडीटी वॉलेट्स से जुड़े डेटा, 274 पीडीएफ बैंक स्टेटमेंट और टेलीग्राम ग्रुप्स के माध्यम से फंड ट्रांजैक्शन के साक्ष्य मिले। एनसीआरपी से बरामद चेकबुक की जांच में 12 राज्यों से जुड़ी 52 साइबर फ्रॉड शिकायतों का पता चला।

इंस्पेक्टर संदीप सिंह के नेतृत्व में और एसीपी अनिल शर्मा के पर्यवेक्षण में यह कार्रवाई की गई। टीम में एसआई राकेश मलिक, एएसआई संजय, एएसआई संदीप त्यागी, एचसी कपिल, एचसी अक्षय, एचसी विकास, एचसी भूपेंद्र, एचसी सचिन और एचसी मोहित तोमर शामिल थे।

पुलिस के अनुसार, यह कार्रवाई साइबर अपराध के संगठित नेटवर्क के खिलाफ एक बड़ी सफलता है। गिरोह के दो मुख्य सदस्य अभी फरार हैं, जो दुबई से ऑपरेट कर रहे हैं। पुलिस उनकी तलाश में जुटी हुई है और आगे की जांच जारी है।

Point of View

बल्कि समाज के लिए भी एक चेतावनी है कि हमें सतर्क रहना चाहिए।
NationPress
31/10/2025

Frequently Asked Questions

इस साइबर धोखाधड़ी गिरोह का संचालन कौन कर रहा था?
इस गिरोह का संचालन दुबई में बैठे एक भारतीय हैंडलर टॉम के निर्देशों पर हो रहा था।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों में कौन-कौन शामिल हैं?
गिरफ्तार किए गए आरोपियों में मंजीत सिंह, मनश्वी, मनीष मेहरा, सोमबीर और अनुप शामिल हैं।
इस गिरोह ने किस प्रकार की धोखाधड़ी की?
गिरोह ने फर्जी कंपनियां बनाकर और जाली खातों के जरिए नागरिकों से ठगी की और रकम को क्रिप्टोकरेंसी में ट्रांसफर किया।
पुलिस ने कितने मोबाइल फोन और चेकबुक बरामद की?
पुलिस ने 18 मोबाइल फोन, 36 सिम कार्ड, 3 डेबिट/क्रेडिट कार्ड, और कई चेकबुक बरामद की।
क्या गिरोह के अन्य सदस्य भी गिरफ्तार हुए हैं?
गिरोह के दो मुख्य सदस्य अभी भी फरार हैं और उनकी तलाश जारी है।