क्या पंचायती राज व्यवस्था ग्रामीण विकास की रीढ़ की हड्डी है? : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

सारांश
Key Takeaways
- पंचायती राज व्यवस्था ग्रामीण विकास की रीढ़ की हड्डी है।
- नए जिला पंचायत अध्यक्षों का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया है।
- 73वां संविधान संशोधन पंचायती राज संस्थाओं को संविधानिक दर्जा प्रदान करता है।
- केंद्र सरकार नक्सलवाद के खिलाफ दृढ़ संकल्पित है।
- 2026 तक नक्सलवाद को समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।
रायपुर, 5 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के नव नियुक्त जिला पंचायत अध्यक्षों और उपाध्यक्षों के लिए प्रशिक्षण वर्ग का शुभारंभ शनिवार को हुआ। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम तीन दिनों तक जारी रहेगा। उद्घाटन सत्र में राज्य के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, सीएम विजय शर्मा और अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। सीएम साय ने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था ग्रामीण विकास की रीढ़ की हड्डी है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पंचायती राज व्यवस्था ग्रामीण विकास का मूल आधार है। जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्षों की जिम्मेदारी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस कार्यशाला के माध्यम से अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारियों को सही ढंग से निभाने के लिए मार्गदर्शन दिया जाएगा, जिससे जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्षों को लाभ होगा।
गौरतलब है कि पंचायती राज व्यवस्था 24 अप्रैल, 1993 को लागू हुई थी, जब 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 प्रभावी हुआ। यह संशोधन पंचायती राज संस्थाओं को संविधानिक दर्जा प्रदान करता है। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में विकास और शासन में लोगों की भागीदारी को बढ़ाना है।
जब मीडिया ने नक्सलियों द्वारा जारी पत्र का सवाल उठाया, जिसमें मल्लिकार्जुन खड़गे का उल्लेख था, तो मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि राज्य में नक्सलियों को विकास की मुख्य धारा में शामिल होने के लिए पहले ही आमंत्रण दिया गया है। अगर नक्सली संवाद करने के लिए तैयार हैं, तो हम भी तैयार हैं। केंद्र सरकार नक्सलवाद के खिलाफ दृढ़ स्थिति में है और भारत को सशक्त, सुरक्षित और समृद्ध बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
केंद्र सरकार ने नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए 2026 तक का लक्ष्य रखा है।