क्या पश्चिम बंगाल सरकार ने ओबीसी सूची में उप-श्रेणियों को जोड़ने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी?

सारांश
Key Takeaways
- पश्चिम बंगाल सरकार ने ओबीसी कोटे में १४० उप-श्रेणियाँ जोड़ने का निर्णय लिया है।
- कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस पर अंतरिम रोक लगाई है।
- सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई है।
- अगली सुनवाई ३१ जुलाई को होगी।
- यह निर्णय समाज में समानता और विवाद को प्रभावित कर सकता है।
नई दिल्ली, २५ जून (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल सरकार ने ओबीसी कोटे में उप-श्रेणियों को जोड़ने के अपने निर्णय को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक हफ्ते पहले इस पर अंतरिम रोक लगाई थी। वर्तमान में, सरकार ने हाईकोर्ट के निर्णय को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील की है।
पश्चिम बंगाल सरकार ने ११३ श्रेणियों वाली पुरानी लिस्ट को बदलकर १४० उप-श्रेणियों वाली लिस्ट पेश की थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अगुवाई वाली सरकार ने १० जून को पश्चिम बंगाल विधानसभा में संशोधित ओबीसी-ए और ओबीसी-बी सूची प्रस्तुत की, जिसमें ७६ नई श्रेणियाँ शामिल की गई थीं। इस प्रकार, कुल संख्या १४० हो गई।
इस सूची में ८० मुस्लिम और ६० गैर-मुस्लिमों को शामिल किया गया है। मुस्लिम उप-श्रेणियों की संख्या ७७ से बढ़कर ८० कर दी गई, जबकि गैर-मुस्लिम श्रेणियों की संख्या ३६ से बढ़कर ६० हो गई।
राज्य सरकार के हाल के निर्णय पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने १७ जून को अंतरिम रोक लगाते हुए कहा कि सरकार के निर्णय पर याचिका दायर की गई थी। अदालत ने इस पर सुनवाई करते हुए अधिसूचना पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया था।
हाईकोर्ट में अगली सुनवाई की तारीख ३१ जुलाई रखी गई है। जस्टिस तपब्रत चक्रवर्ती और जस्टिस राजशेखर मंथा की खंडपीठ ने कहा कि यह अंतरिम रोक ३१ जुलाई तक प्रभावी रहेगी, जब मामले की अगली सुनवाई होगी और राज्य सूची के आधार पर कोई कदम नहीं उठाया जा सकेगा। हालांकि, बंगाल सरकार ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख कर लिया है।
इससे पहले, हाईकोर्ट ने पुरानी सूची को रद्द करते हुए सभी संबंधित सरकारी आदेशों और ओबीसी जाति प्रमाणपत्र आवेदन पोर्टल को भी निलंबित कर दिया था। कलकत्ता हाईकोर्ट ने सरकार की पिछली ओबीसी सूची को ११३ उप-श्रेणियों के साथ खारिज कर दिया, जिनमें से ७७ मुस्लिम समुदाय से संबंधित थीं।