क्या पश्चिम बंगाल में 50 लाख संदिग्ध मतदाता मिलने से भाजपा ने राज्य सरकार को निशाना बनाया?

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क्या पश्चिम बंगाल में 50 लाख संदिग्ध मतदाता मिलने से भाजपा ने राज्य सरकार को निशाना बनाया?

सारांश

पश्चिम बंगाल में भाजपा ने 50 लाख संदिग्ध मतदाताओं की पहचान के बाद राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। क्या यह ममता बनर्जी की योजनाओं का खुलासा है? जानें इस मुद्दे की गहराई और राजनीतिक प्रभाव।

Key Takeaways

  • पश्चिम बंगाल में 50 लाख फर्जी मतदाता की पहचान हुई है।
  • भाजपा ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
  • मतदाता सूची की शुद्धता लोकतंत्र के लिए आवश्यक है।

नई दिल्ली, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के दौरान लगभग 50 लाख फर्जी मतदाताओं की पहचान के बाद राज्य सरकार पर आरोप लगाए हैं। राज्यसभा सांसद समिक भट्टाचार्य ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का एक ही उद्देश्य है, बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्या के नाम को सूची में बनाए रखना।

पश्चिम बंगाल में एसआईआर के दौरान कथित तौर पर 50 लाख ऐसे व्यक्तियों की पहचान हुई है, जो वास्तव में राज्य में निवास नहीं करते। इस पर समिक भट्टाचार्य ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "जिस प्रदेश में बाप भी किराए पर मिलता हो, जहां भाई-बहन तक आपस में विवाह कर रहे हों, यानी पति-पत्नी के पिता का नाम एक ही हो, ऐसे प्रदेश से आप और क्या अपेक्षा कर सकते हैं?"

भाजपा सांसद ने आरोप लगाते हुए कहा कि ममता बनर्जी की सरकार में मृत व्यक्तियों के नाम भी मतदाता सूची में शामिल किए गए हैं। खाली प्लॉट और जमीनों को फर्जी मतदाताओं के पते के रूप में दर्शाया गया। समिक भट्टाचार्य ने कहा कि मतदाता सूची का शुद्धिकरण होना चाहिए। इस प्रक्रिया में बाधा डालने वालों को संविधान के अनुसार सोचना चाहिए कि उन्हें क्या करना चाहिए।

इसी बीच, भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि ऐसे लोगों को हटाना बहुत आवश्यक है और इसीलिए एसआईआर प्रक्रिया की जरूरत है। उन्होंने कहा, "इसीलिए एसआईआर की आवश्यकता है। यह उन लोगों को एक सशक्त जवाब है, जिन्होंने एसआईआर पर सवाल उठाए थे।"

उन्होंने कहा कि यह कैसे संभव है कि हम लोकतंत्र को मजबूत करने की बात करें, और फिर भी मतदाता सूची में ऐसे लोग शामिल हों जो अवैध तरीके से इस प्रक्रिया का हिस्सा बने हैं? ऐसे लोगों को हटाना अत्यंत आवश्यक है।

इसी तरह की चिंता व्यक्त करते हुए, बिहार के मंत्री नितिन नबीन ने कहा कि इन खुलासों से पश्चिम बंगाल में डेमोग्राफिक हेरफेर का पर्दाफाश हुआ है।

उन्होंने कहा, "ममता बनर्जी की चालें अब स्पष्ट हो रही हैं। डेमोग्राफिक्स में परिवर्तन करने वाले हेरफेर धीरे-धीरे उजागर हो रहे हैं। जो लोग बंगाल की आबादी का हिस्सा नहीं थे, उन्हें मतदाता बना दिया गया, जिससे गलत काम हुए। भारत का चुनाव आयोग निश्चित रूप से इस पर कार्रवाई करेगा।"

एसआईआर पर भाजपा सांसद शशांक मणि त्रिपाठी ने कहा, "यह एक अत्यंत आवश्यक प्रक्रिया है। यह हमारे डेमोक्रेटिक सिस्टम की नींव को मजबूत करती है। मैं सभी से अपील करता हूं कि इस प्रक्रिया को गंभीरता से लें।"

Point of View

यह स्पष्ट है कि पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करना लोकतंत्र के लिए आवश्यक है। भाजपा के आरोप गंभीर हैं, और इनकी जांच होनी चाहिए। हमें यह देखना होगा कि राजनीतिक हितों के बीच लोकतंत्र की रक्षा कैसे की जाए।
NationPress
05/12/2025

Frequently Asked Questions

पश्चिम बंगाल में फर्जी मतदाताओं की पहचान कैसे की गई?
मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के दौरान लगभग 50 लाख फर्जी मतदाताओं की पहचान की गई।
भाजपा ने राज्य सरकार पर क्या आरोप लगाए हैं?
भाजपा ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार में मृत व्यक्तियों के नाम भी मतदाता सूची में शामिल किए गए हैं।
एसआईआर प्रक्रिया का महत्व क्या है?
एसआईआर प्रक्रिया लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने के लिए आवश्यक है, जिससे फर्जी मतदाताओं को हटाया जा सके।
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