क्या पश्चिम बंगाल सरकार चुनाव आयोग के कार्यों में बाधा डाल रही है?: समिक भट्टाचार्य
सारांश
Key Takeaways
- पश्चिम बंगाल सरकार पर चुनाव आयोग के कार्यों में बाधा डालने का आरोप।
- लोकतंत्र की पारदर्शिता और स्थिरता की आवश्यकता।
- घुसपैठियों का राजनीतिक इस्तेमाल।
- भाजपा का नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने का संकल्प।
- राजनीतिक माहौल में पारदर्शिता की आवश्यकता।
नई दिल्ली, २५ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने पश्चिम बंगाल सरकार और चुनाव आयोग से जुड़े मामलों पर महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार लगातार चुनाव आयोग के कार्यों में रुकावट उत्पन्न कर रही है और संवैधानिक व्यवस्था को कमजोर करने का प्रयास कर रही है। इसके साथ ही उन्होंने घुसपैठियों और रोहिंग्या पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी।
भट्टाचार्य ने कहा, "किसी भी संवैधानिक संस्था की यह जिम्मेदारी होती है कि वह अपना कार्य निष्पक्ष और व्यवस्थित तरीके से करे। लेकिन बंगाल सरकार लगातार चुनाव आयोग के साथ सहयोग नहीं कर रही है और पूरे सिस्टम को बाधित कर रही है।"
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती तभी संभव है जब चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी और निर्बाध हो। पश्चिम बंगाल में प्रशासन संवैधानिक संस्थाओं के आदेशों का पालन करने के बजाय राजनीति से प्रेरित होकर काम कर रहा है, जो बेहद चिंताजनक है।
भट्टाचार्य ने आगे कहा, "भारत के लोग हमारे साथ हैं, लेकिन रोहिंग्या हमारे साथ नहीं हैं। बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिए हमारे साथ नहीं हैं। जो लोग सीमा पार कर यहां आए हैं, वे तृणमूल कांग्रेस के साथ हैं। जो लोग इस दुनिया से चले गए हैं, जिन्होंने इस धरती को छोड़ दिया है, वे भी आज तृणमूल के साथ खड़े हैं।"
उन्होंने कहा कि राज्य में वोट बैंक की राजनीति को बढ़ावा दिया जा रहा है और इसके परिणामस्वरूप कानून-व्यवस्था तथा सामाजिक संतुलन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। घुसपैठियों को संरक्षण दिया जा रहा है और यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।
भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस सरकार वैध नागरिकों की आवाज दबाने और घुसपैठियों को राजनीतिक हथियार बनाने का प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक माहौल में असली लड़ाई पारदर्शिता और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की है। जनता बदलाव चाहती है और भाजपा के साथ खड़ी है, लेकिन तृणमूल अपनी राजनीति बचाने के लिए गलत रास्ता अपना रही है।