क्या पाटेश्वर महादेव मंदिर में हैं भगवान के 1,000 अद्वितीय शिवलिंग?
सारांश
Key Takeaways
- पाटेश्वर महादेव मंदिर में 1,000 अद्वितीय शिवलिंग हैं।
- यह मंदिर लगभग 5,000 वर्ष पुराना है।
- मंदिर में 8 गुफाएं हैं, जो ध्यान के लिए बनाई गई थीं।
- यहां विभिन्न आकार और स्वरूप के शिवलिंग पाये जाते हैं।
- मंदिर के आसपास औषधीय पौधों की भरपूर मात्रा है।
नई दिल्ली, 21 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। देश भर में भगवान शिव के अनगिनत मंदिर हैं, जहां विभिन्न स्वरूपों की पूजा का आयोजन होता है। सतारा के घने जंगलों में भी एक अद्भुत मंदिर स्थित है, जहां भगवान शिव का शिवलिंग पिंडी जैसा है।
यहां के प्रत्येक शिवलिंग का अनोखा आकार इसे अन्य शिव मंदिरों से अलग बनाता है। यह विशेष मंदिर महाराष्ट्र के सतारा में स्थित है, जहां दर्शन के लिए बहुत कम लोग आते हैं।
सतारा जिले के जंगलों के बीच भगवान शिव पाटेश्वर महादेव के रूप में स्थापित हैं। यह मंदिर लगभग 5,000 वर्ष पुराना माना जाता है। यहां भगवान को पिंडनुमा शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है। पाटेश्वर मंदिर हजारों शिवलिंगों के लिए प्रसिद्ध है और यह एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, जिसे अर्ध-घने जंगलों ने घेर रखा है।
इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां 8 गुफाएं हैं, जो कहा जाता है कि भगवान शिव ने ध्यान के लिए बनाई थीं। गुफाओं पर भगवान शिव और अन्य हिंदू देवी-देवताओं की प्रतिमाएं हैं, जो इसे और भी खूबसूरत बनाती हैं।
मंदिर में 1,000 से अधिक शिवलिंग हैं, जिनका अलग आकार और स्वरूप है। कुछ शिवलिंग पिंडनुमा हैं, जबकि कुछ पर छोटे पिंड के साथ कमल की पत्तियां उकेरी गई हैं। कुछ शिवलिंग मटके के आकार के भी हैं। मंदिर में सबसे महत्वपूर्ण महा शिवलिंग है, जिस पर बारीकी से नक्काशी की गई है।
कई शिवलिंगों का उल्लेख पुराणों और वेदों में भी मिलता है, जैसे कि मुखधारी पिंड शिवलिंग, अष्टदिकपाल पिंड शिवलिंग और अन्य। ये सभी शिवलिंग एक ही मंदिर में मौजूद हैं।
पुजारी मंदिर की देखभाल करते हैं और मंदिर के पास एक मठ भी है, जिसका नाम 'सद्गुरु गोविंदानंदस्वामी महाराज मठ' है। इस पहाड़ी में औषधीय गुणों वाले पौधों की भरपूर मात्रा है, जैसे कि सागवान, बरगद, जामुन, करवी, नीलांबरी और सोनकी।