क्या पथियानाडु श्री भद्रकाली मंदिर में माता के दरबार में कष्टों से मिलती है मुक्ति?

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क्या पथियानाडु श्री भद्रकाली मंदिर में माता के दरबार में कष्टों से मिलती है मुक्ति?

Key Takeaways

  • पथियानाडु श्री भद्रकाली मंदिर की अनोखी प्रतिमा है।
  • मंदिर में विशेष पूजा और अनुष्ठान होते हैं।
  • यहां भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आते हैं।
  • मंदिर का उत्सव मलयालम महीने कुंभ भरणी में मनाया जाता है।
  • भद्रकाली का स्वरूप शक्तिशाली और उग्र है।

तिरुवनंतपुरम, 21 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दक्षिण भारत में मां काली को समर्पित कई मंदिर विद्यमान हैं। केरल के मुल्लास्सेरी में मां के सबसे उग्र रूप भद्रकाली की पूजा की जाती है। यह मंदिर भक्तों को संकटों से मुक्ति दिलाने के लिए स्वयं मां भद्रकाली की उपस्थिति का अनुभव कराता है और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

केरल के त्रिशूर जिले के समीप स्थित गांव मुल्लास्सेरी में मां का सबसे उग्र स्वरूप भद्रकाली की पूजा होती है। इस मंदिर को पथियानाडु श्री भद्रकाली मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां मां की एक अद्वितीय प्रतिमा है, जिसमें मां का छोटा और उग्र स्वरूप दिखाई देता है और उनके सिर पर कई नाग विराजमान हैं। इन नागों को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है।

मंदिर में स्थित भद्रकाली की प्रतिमा की ऊंचाई 4 फीट है, जो केरल के अन्य मंदिरों में मौजूद प्रतिमाओं से अधिक है। इस मंदिर का प्रबंधन पथियानाडु श्री भद्रकाली क्षेत्रम ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। यहां देवी भद्रकाली को प्रमुख देवी के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। इस मूर्ति को स्थानीय मलयालम में थिरुमुडी कहा जाता है। प्रांगण में भगवान महागणपति और नागराज के मंदिर भी स्थित हैं। मंदिर में काल सर्प दोष से मुक्ति प्राप्त करने के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

पौराणिक कथाओं में मां काली के भद्रकाली अवतार का वर्णन मिलता है। असुर दारिका को भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त हुआ था कि उसे 14 लोकों में कोई शक्ति नहीं मार सकती। वरदान के बाद असुर ने देवताओं को पराजित कर अपना राज स्थापित किया। भयभीत देवता भगवान शिव की शरण में गए। भगवान शिव ने अपनी तीसरी आंख से भद्रकाली को प्रकट किया और भद्रकाली ने असुर का अंत किया।

मां भद्रकाली का विकराल स्वरूप असुर को मारने के बाद भी रक्त का प्यासा रहा और आम जन-हानि करने लगा। मां भद्रकाली के क्रोध को शान्त करने के लिए भगवान उनके मार्ग में लेट गए, जिसके बाद मां का गुस्सा शांत हुआ।

इस मंदिर का उत्सव मलयालम महीने (फरवरी और मार्च के बीच) में कुंभ भरणी से आरंभ होता है। त्योहार के दौरान बालीथुवल, सर्पबली, थंबुरान के लिए भस्माभिषेकम, गृहलक्ष्मी पूजा और ग्रहदोशनिवारण पूजा का आयोजन किया जाता है। मां भद्रकाली को चावल से बना प्रसाद अर्पित किया जाता है।

Point of View

बल्कि यह आस्था और विश्वास का प्रतीक है। यहां आने वाले भक्तों की संख्या दर्शाती है कि धार्मिकता आज भी हमारे समाज में कितनी प्रचलित है। इस मंदिर के माध्यम से हम भारतीय संस्कृति और परंपरा की गहराई को महसूस कर सकते हैं।
NationPress
21/12/2025

Frequently Asked Questions

पथियानाडु श्री भद्रकाली मंदिर कहाँ स्थित है?
यह मंदिर केरल के मुल्लास्सेरी में स्थित है।
भद्रकाली की पूजा का महत्व क्या है?
भद्रकाली की पूजा संकटों से मुक्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए की जाती है।
मंदिर में कौन-कौन सी विशेष पूजा होती है?
मंदिर में काल सर्प दोष से मुक्ति के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
यहां का प्रमुख उत्सव कब मनाया जाता है?
यहां का उत्सव मलयालम महीने कुंभ भरणी में मनाया जाता है।
मंदिर में भद्रकाली की प्रतिमा की ऊँचाई क्या है?
मंदिर में भद्रकाली की प्रतिमा की ऊँचाई 4 फीट है।
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