क्या आईआईटी मद्रास एलुमनी मीट में पीयूष गोयल ने भविष्य के भारत के बारे में महत्वपूर्ण बातें साझा की?

सारांश
Key Takeaways
- भारत 2027 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है।
- प्रधानमंत्री मोदी के 'विकसित भारत' के सपने को आगे बढ़ाने का प्रयास।
- टेक्नोलॉजी को अपनाने में आत्मविश्वास।
- सरकार ने नवोन्मेषी उद्योग के लिए एक लाख करोड़ रुपए आवंटित किए हैं।
- भारत में प्रतिभा का प्रवाह बढ़ रहा है।
बेंगलुरु, 5 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में शनिवार को आयोजित आईआईटी मद्रास एलुमनी मीट ‘संगम’ को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के सपने और पांच प्रणों पर विस्तार से चर्चा की।
पीयूष गोयल ने कहा कि देश अब एक निर्णायक मोड़ पर है, जहां हम भविष्य के भारत की नींव रख रहे हैं। उन्होंने याद दिलाया कि 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी, तब भारत को दुनिया की सबसे कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाता था। लेकिन पिछले 10 सालों में देश ने बहुतेरे मिशनों पर काम किया, जिनमें स्वच्छ भारत, स्टार्टअप इंडिया जैसे कार्यक्रम शामिल हैं, जिन्होंने आम आदमी तक पहुंच बनाई और जमीनी बदलाव लाए। उन्होंने कहा कि आज भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और यदि यही गति बनी रही, तो 2027 तक हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकते हैं।
उन्होंने कहा, "आज जो नीतियां बनाई जा रही हैं, वे आने वाले भविष्य के भारत को ध्यान में रखते हुए बनाई जा रही हैं।" तकनीक को लेकर उन्होंने कहा कि भारत अब नई तकनीकों से डरता नहीं है, बल्कि उन्हें अपनाकर आगे बढ़ने का आत्मविश्वास रखता है। यह आत्मविश्वास हमें दुनिया के बेहतरीन देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के योग्य बनाता है। कोविड महामारी के दौरान भारत ने 100 से अधिक देशों को वैक्सीन भेजी।
उन्होंने कहा कि दुनिया ने इसके लिए भारत को धन्यवाद दिया, लेकिन कुछ लोग, विशेषकर कुछ राज्यों के नेता, इसे ठीक से समझ नहीं पाए। हालिया बजट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने एक लाख करोड़ रुपए नवोन्मेषी उद्योग के लिए आवंटित किए हैं, ताकि युवा भारत को नए अवसर मिलें और अनुसंधान को बढ़ावा मिले।
पीयूष गोयल ने पूर्व प्रधानमंत्रियों के योगदान का भी स्मरण किया। उन्होंने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री ने "जय जवान, जय किसान" का नारा दिया, अटल बिहारी वाजपेयी ने इसमें "जय विज्ञान" जोड़ा, और अब प्रधानमंत्री मोदी ने इसमें चौथा आयाम "जय अनुसंधान" जोड़ दिया है। अब भारत ऐसा देश बनता जा रहा है जहां प्रतिभा बाहर नहीं जा रही, बल्कि बाहर से भारत की ओर आकर्षित हो रही है।