क्या पीयूष गोयल 4-5 जनवरी को तमिलनाडु में विधानसभा चुनावों की तैयारी का जायजा लेंगे?
सारांश
Key Takeaways
- 4-5 जनवरी को तमिलनाडु का दौरा करेंगे
- एआईएडीएमके के साथ गठबंधन चर्चा होगी
- भाजपा की चुनावी रणनीति को आकार देने का अवसर
- संभावित सहयोगियों से बातचीत की संभावना
- 2026 के विधानसभा चुनावों की तैयारी में मददगार
चेन्नई, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल 4-5 जनवरी को तमिलनाडु का दौरा करेंगे। इस यात्रा के दौरान वह ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के नेतृत्व के साथ महत्वपूर्ण गठबंधन चर्चा करेंगे। भाजपा ने उन्हें तमिलनाडु का चुनाव प्रभारी भी नियुक्त किया है।
उनकी पिछली बैठक 23 दिसंबर को एआईएडीएमके के नेताओं के साथ हुई थी, जहां सीट बंटवारे और गठबंधन की रणनीति पर प्रारंभिक चर्चा की गई थी। इस दौरान एआईएडीएमके ने भाजपा को लगभग 23 विधानसभा सीटें देने का संकेत दिया था, हालांकि कोई अंतिम समझौता नहीं हुआ था।
4 जनवरी की यात्रा सीट-शेयरिंग बातचीत में महत्वपूर्ण होने की उम्मीद है। गोयल 4 और 5 जनवरी को तमिलनाडु में रहेंगे, और इस दौरान वह भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों और गठबंधन सहयोगियों के साथ विस्तृत बातचीत करेंगे।
बातचीत के दूसरे दौर में सीट बटवारे के फ़ॉर्मूले को अंतिम रूप देने, प्रचार रणनीतियों में तालमेल बिठाने, और राज्य में एनडीए गठबंधन के व्यापक ढांचे को निर्धारित करने पर ध्यान दिया जाएगा।
इस दौरे के दौरान पीयूष गोयल और एआईएडीएमके महासचिव एडप्पादी के. पलानीस्वामी के बीच एक महत्वपूर्ण मीटिंग होगी। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह बातचीत भाजपा-एआईएडीएमके गठबंधन के भविष्य को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, विशेषकर 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले।
एआईएडीएमके नेताओं के साथ बातचीत के अलावा, गोयल पाट्टाली मक्कल कच्ची (पीएमके) और देसिया मुरपोक्कु द्रविड़ कड़गम (डीएमडीके) जैसे संभावित गठबंधन सहयोगियों के नेताओं से भी मिलने की संभावना है। इन मुलाकातों को तमिलनाडु में एनडीए गठबंधन को मजबूती प्रदान करने के लिए भाजपा की एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, गोयल अपनी यात्रा के दौरान ‘थुगलक’ पत्रिका के संपादक और प्रसिद्ध टिप्पणीकार एस. गुरुमूर्ति से भी मिल सकते हैं, जो चुनावी लड़ाई से पहले वैचारिक और रणनीतिक सलाह का महत्व दर्शाता है।
4 जनवरी की बैठकों से भविष्य की बातचीत के स्वरूप का निर्धारण होने की उम्मीद है, इसलिए राजनीतिक हलके इसके नतीजों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, क्योंकि यह 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनावों के लिए गठबंधन के ढांचे को निर्णायक रूप से आकार दे सकता है।