क्या पीएम मोदी की सादगी से हमें कुछ सीखने को मिलता है?

सारांश
Key Takeaways
- प्रधानमंत्री मोदी का सादगी भरा दृष्टिकोण।
- समानता का संदेश देने वाला भाजपा का सिद्धांत।
- जीएसटी सुधारों पर महत्वपूर्ण चर्चा।
- सामाजिक मीडिया पर पीएम मोदी की तस्वीरों का वायरल होना।
- राजनीति में सादगी का महत्व।
नई दिल्ली, 7 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को संसद परिसर में स्थित जीएमसी बालयोगी सभागार में आयोजित कार्यशाला में भाग लिया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी की सादगी का एक अद्भुत उदाहरण देखने को मिला। उन्होंने साथी सांसदों के बीच अंतिम पंक्ति में बैठने का निर्णय लिया। पीएम मोदी एक साधारण सांसद की तरह सबसे पीछे की पंक्ति में नजर आए। कार्यशाला में केंद्र सरकार के वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधारों को सर्वसम्मति से पारित करने वाला प्रस्ताव भी पारित किया गया।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आयोजित इस कार्यशाला में जब पीएम मोदी पहुंचे, तो उन्होंने आगे की सीट छोड़कर पीछे की पंक्ति का चयन किया। इस दौरान उन्होंने एक सामान्य सांसद के रूप में कार्यक्रम में भाग लिया और चर्चा में सक्रियता दिखाई।
कार्यशाला के दौरान भाजपा सांसदों ने प्रधानमंत्री मोदी को ऐतिहासिक जीएसटी सुधारों और दरों में कटौती (जीएसटी 2.0) के लिए धन्यवाद देते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। सांसदों ने कहा कि सरकार के निर्णयों ने देश की अर्थव्यवस्था को गति दी है और आम जनता को सीधे लाभ प्रदान किया है।
पीएम मोदी ने पिछली पंक्ति में बैठकर सादगी का एक उदाहरण पेश किया, जिसने वहां उपस्थित सभी लोगों को प्रभावित किया। इससे यह संदेश गया कि भाजपा में हर सांसद और कार्यकर्ता समान है।
राजनीति में हर तस्वीर का अपना महत्व होता है और इस घटना को पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच एक प्रतीकात्मक संदेश के रूप में देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर भी प्रधानमंत्री की सादगीभरी तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही हैं, जहां लोग उनकी विनम्रता और जमीनी जुड़ाव की सराहना कर रहे हैं।
भाजपा सांसद रवि किशन ने एक्स पर इस तस्वीर को साझा करते हुए लिखा, 'एनडीए सांसदों की कार्यशाला में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे पीछे की पंक्ति में बैठे। यही भाजपा की ताकत है, जहां संगठन में हर कोई एक कार्यकर्ता है।'