क्या एआई के जरिए दुर्लभ पक्षियों की पहचान संभव है? जानें पीएम मोदी के विचार

Click to start listening
क्या एआई के जरिए दुर्लभ पक्षियों की पहचान संभव है? जानें पीएम मोदी के विचार

सारांश

प्रधानमंत्री मोदी ने 'मन की बात' में ज्ञान भारतम् मिशन और जैव विविधता की सुरक्षा पर जोर दिया। काजीरंगा नेशनल पार्क में एआई द्वारा की गई पक्षियों की गणना पर चर्चा की। जानें इस ऐतिहासिक पहल के बारे में।

Key Takeaways

  • ज्ञान भारतम् मिशन का उद्देश्य प्राचीन ज्ञान की सुरक्षा है।
  • काजीरंगा में एआई का उपयोग करके पक्षियों की पहचान की गई।
  • प्रौद्योगिकी और संवेदनशीलता का संयोजन प्रकृति को समझने में सहायता करता है।

नई दिल्ली, 27 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम के 124वें एपिसोड में देशवासियों को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने भारत की समृद्ध ज्ञान परंपरा और जैवविविधता को सुरक्षित रखने के दो महत्वपूर्ण प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने 'ज्ञान भारतम् मिशन' की घोषणा को एक ऐतिहासिक पहल बताते हुए कहा कि यह मिशन आने वाली पीढ़ियों को भारत की आत्मा से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बनेगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की समृद्ध ज्ञान परंपरा और जैवविविधता की रक्षा के लिए पूरे देश में प्रयास किए जाएंगे। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हमारा प्राचीन ज्ञान केवल किताबों या दीवारों तक सीमित न रहे, बल्कि नई पीढ़ी की सोच का हिस्सा बने। इस दिशा में सरकार ने इस साल के बजट में 'ज्ञान भारतम् मिशन' की शुरुआत की है। इस मिशन के अंतर्गत देशभर में बिखरी प्राचीन पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण किया जाएगा। इसके बाद एक राष्ट्रीय डिजिटल रिपॉजिटरी बनाई जाएगी, जिससे भारत ही नहीं, बल्कि विश्वभर के छात्र और शोधकर्ता भारतीय ज्ञान परंपरा से जुड़ सकेंगे। उन्होंने लोगों से इस पहल में सक्रिय भागीदारी करने की अपील की।

पीएम मोदी ने कहा कि यदि आप किसी ऐसे प्रयास से जुड़े हैं या जुड़ना चाहते हैं, तो माय गॉव या संस्कृति मंत्रालय से संपर्क करें। क्योंकि ये सिर्फ पांडुलिपियां नहीं हैं, ये भारत की आत्मा के वे अध्याय हैं जिन्हें हमें आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना है। असम के प्रसिद्ध काजीरंगा नेशनल पार्क का उल्लेख करते हुए पीएम मोदी ने एक अनूठे प्रयास की सराहना की। उन्होंने बताया कि काजीरंगा, जो आमतौर पर अपने एक सींग वाले गैंडों के लिए प्रसिद्ध है, वहां पहली बार 'ग्रासलैंड बर्ड सेन्सस' यानी घासभूमि पक्षी गणना की गई है।

उन्होंने कहा कि आपको यह जानकर खुशी होगी कि इस गणना में 40 से अधिक पक्षी प्रजातियों की पहचान की गई, जिनमें कई दुर्लभ पक्षी भी शामिल हैं। यह सब संभव हुआ तकनीक की मदद से। टीम ने साउंड रिकॉर्डिंग डिवाइस का उपयोग किया और फिर उन ध्वनियों को एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) तकनीक के जरिए कंप्यूटर पर विश्लेषण किया गया। इस प्रक्रिया में पक्षियों को बिना परेशान किए, केवल उनकी आवाज से ही पहचान लिया गया। यह उदाहरण दर्शाता है कि जब टेक्नोलॉजी और संवेदनशीलता मिलती है, तो प्रकृति को समझना और भी आसान हो जाता है।

उन्होंने इन प्रयासों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि भारत की जैव विविधता की पहचान बनी रहे और आने वाली पीढ़ियों को इससे जोड़ा जा सके।

Point of View

बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी जुड़ने का अवसर प्रदान करते हैं। यह पहल तकनीक और संवेदनशीलता का एक अद्भुत उदाहरण है।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

ज्ञान भारतम् मिशन क्या है?
ज्ञान भारतम् मिशन प्राचीन पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण और एक राष्ट्रीय डिजिटल रिपॉजिटरी बनाने का प्रयास है।
काजीरंगा नेशनल पार्क में क्या हुआ?
काजीरंगा में पहली बार 'ग्रासलैंड बर्ड सेन्सस' किया गया, जिसमें 40 से अधिक पक्षी प्रजातियों की पहचान की गई।