क्या पीएम मोदी ने श्यामजी कृष्ण वर्मा की जयंती पर उन्हें याद किया?

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क्या पीएम मोदी ने श्यामजी कृष्ण वर्मा की जयंती पर उन्हें याद किया?

सारांश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता सेनानी श्यामजी कृष्ण वर्मा की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने दो दशक पहले उनकी अंतिम इच्छा को पूरा करने के प्रयासों का जिक्र किया और युवाओं से इस प्रेरणादायक कहानी को पढ़ने का आग्रह किया।

Key Takeaways

  • श्यामजी कृष्ण वर्मा का महत्व भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में है।
  • पीएम मोदी ने उनकी अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए प्रयास किए।
  • यह यात्रा युवाओं को प्रेरित करती है।
  • मोदी का विरांजलि यात्रा एक ऐतिहासिक कार्यक्रम था।

नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को स्वतंत्रता सेनानी श्यामजी कृष्ण वर्मा की जयंती पर उन्हें गहरा सम्मान अर्पित किया। पीएम मोदी ने 'मोदी आर्काइव' अकाउंट की एक पोस्ट को साझा करते हुए बताया, कैसे दो दशक पहले 'मां भारती के सपूत' श्यामजी वर्मा की अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए उत्कृष्ट प्रयास किए गए। उन्होंने युवाओं से इस पोस्ट को अधिक से अधिक पढ़ने की अपील भी की है।

गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री रहते हुए, पीएम मोदी ने लगभग दो दशक पहले श्यामजी कृष्ण वर्मा की आखिरी इच्छा को पूरा कर उन्हें सम्मान दिलाने का कार्य किया था। पीएम मोदी ने 'मोदी आर्काइव' की पोस्ट साझा करते हुए उल्लेख किया कि यह थ्रेड उस संतोषजनक प्रयास पर प्रकाश डालता है, जिसने श्यामजी वर्मा की एक इच्छा को पूरा किया और मां भारती के एक साहसी सपूत को सम्मान प्रदान किया। साथ ही, उन्होंने कहा कि अधिक युवा उनकी महानता और बहादुरी के बारे में पढ़ सकें।

'मोदी आर्काइव' नाम के 'एक्स' हैंडल से 4 अक्टूबर 2024 को कुछ फोटोज साझा की गई। इनमें गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं। पोस्ट में बताया गया कि 'श्यामजी कृष्ण वर्मा का निधन 1930 में हुआ, इस उम्मीद के साथ कि उनकी अस्थियां एक दिन स्वतंत्र भारत में वापस आएंगी। हालांकि, भारत की आजादी के 56 साल बाद तक उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो पाई।

उनकी इस इच्छा को पूरा करने का संकल्प नरेंद्र मोदी ने लिया। अगस्त 2003 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता सेनानी के अंतिम अनुरोध का सम्मान करते हुए उनकी अस्थियों को जिनेवा से भारत लेकर आए।

22 अगस्त 2003 को सीएम मोदी विले डी जिनेवे और स्विस सरकार से श्यामजी कृष्ण वर्मा की अस्थियां लेने के लिए जिनेवा के सेंट जॉर्ज कब्रिस्तान, स्विट्जरलैंड पहुंचे। इससे इस देशभक्त की लंबे समय से अधूरी रही इच्छा पूरी हुई।

30 मार्च 1930 को श्यामजी कृष्ण वर्मा का निधन हो गया था और उनकी आखिरी इच्छा थी कि भारत को आजादी मिलने के बाद उनकी अस्थियां स्वदेश लाई जाएं।

इसके बाद नरेंद्र मोदी ने एक भव्य 'विरांजलि यात्रा' का आयोजन किया, जो एक स्मारकीय यात्रा थी जिसमें श्यामजी की अस्थियों से भरा कलश गुजरात के 17 जिलों से होकर गुजरा, जिसमें दक्षिण गुजरात, मध्य गुजरात और सौराष्ट्र के क्षेत्र शामिल थे और फिर कच्छ के मांडवी में वर्मा परिवार को सौंप दिया गया। अस्थियों को एक विशेष रूप से सुसज्जित वाहन, 'विरांजलि-वाहिका' में ले जाया गया और इस यात्रा के दौरान हजारों युवा बड़ी संख्या में शामिल हुए और इस वीर क्रांतिकारी की स्मृति में श्रद्धांजलि अर्पित की।

Point of View

यह महत्वपूर्ण है कि हम स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत को संजोएं। श्यामजी कृष्ण वर्मा की कहानी न केवल हमारे इतिहास का हिस्सा है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा भी है। हमें अपने नायकों को याद रखना चाहिए और उनके योगदान को पहचानना चाहिए।
NationPress
04/10/2025

Frequently Asked Questions

श्यामजी कृष्ण वर्मा कौन थे?
श्यामजी कृष्ण वर्मा एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया।
पीएम मोदी ने उनकी अंतिम इच्छा को कब पूरा किया?
पीएम मोदी ने अगस्त 2003 में श्यामजी कृष्ण वर्मा की अस्थियों को भारत लाने का कार्य किया।