क्या प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना मत्स्य पालन क्षेत्र को आर्थिक रूप से सक्षम और समावेशी बना रही है?

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क्या <b>प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना</b> मत्स्य पालन क्षेत्र को आर्थिक रूप से सक्षम और समावेशी बना रही है?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना ने पिछले पांच वर्षों में मत्स्य पालन क्षेत्र को कैसे बदल दिया है? यह योजना न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रही है, बल्कि सामाजिक समावेश और पोषण के लक्ष्यों को भी पूरा कर रही है। यहां जानें इस योजना की खास बातें।

Key Takeaways

  • प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना ने 195 लाख टन मछली उत्पादन किया।
  • 58 लाख रोजगार के अवसर सृजित किए गए।
  • यह योजना जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन बढ़ाने में मदद कर रही है।
  • 99,018 महिलाओं का सशक्तीकरण हुआ है।
  • यह योजना सामाजिक समावेश को बढ़ावा देती है।

नई दिल्ली, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत मत्स्य पालन विभाग ने बुधवार को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के पांच वर्ष पूरे होने के अवसर पर देश की अर्थव्यवस्था, पोषण और सस्टेनेबिलिटी के लक्ष्यों में योजना के महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित किया।

पीएमएमएसवाई के समग्र परिवर्तन का जश्न मनाते हुए मत्स्य पालन विभाग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि कटिंग एज टेक्नोलॉजी को अपनाने से लेकर प्रथाओं को आधुनिक बनाने और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने तक, योजना ने समुदायों को सशक्त बनाया है और आजीविका को मजबूत किया है।

विभाग ने एक पोस्ट में लिखा, "इस योजना का योगदान तटों पर जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन बढ़ाने, उत्पादकों को उपभोक्ताओं से जोड़ने के लिए बाजार और लॉजिस्टिक्स को सुव्यवस्थित करने और रोजगार बढ़ाने वाले क्लस्टर-बेस्ड विकास को बढ़ावा देने के रूप में अहम रहा है।"

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) की शुरुआत 10 सितंबर 2020 को की गई थी। योजना को 20,050 करोड़ रुपए के कुल निवेश के साथ स्वीकृति दी गई थी। इसमें 2020-21 से 2024-25 तक पांच वर्षों की अवधि के लिए केंद्र सरकार से मिले 9,407 करोड़ रुपए, राज्य सरकारों से मिले 4,880 करोड़ रुपए और लाभार्थियों के योगदान के रूप में 5,763 करोड़ रुपए शामिल हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 22 जुलाई 2025 तक मत्स्य पालन विभाग ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत 21,274.16 करोड़ रुपए की मत्स्य विकास परियोजनाओं को स्वीकृति दी है।

यह योजना पिछले पांच वर्षों से मत्स्य पालन क्षेत्र को पारिस्थितिक रूप से दुरुस्त, आर्थिक रूप से सक्षम और सामाजिक रूप से समावेशी बनाने की दिशा में काम कर रही है। योजना उत्पादन और उत्पादकता, गुणवत्ता, नई टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल और पैदावार के बाद इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े अंतरों को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

भारत 2024-25 में 195 लाख टन मत्स्य उत्पादन के साथ इस क्षेत्र में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है। फरवरी, 2025 तक मत्स्यपालन की उत्पादकता में 3 से 4.7 टन प्रति हेक्टेयर के राष्ट्रीय औसत से वृद्धि हुई है। दिसंबर, 2024 तक 55 लाख के लक्ष्य को पार करते हुए रोजगार के 58 लाख अवसर सृजित किए गए।

पीएमएमएसवाई से मात्र पांच वर्षों में 195 लाख टन का रिकॉर्ड मछली उत्पादन हुआ है। साथ ही, 58 लाख आजीविका सृजन, 99,018 महिलाओं के सशक्तीकरण और जलवायु के अनुकूल, बाजार के लिए तैयार वैल्यू चेन का निर्माण करने के उद्देश्य में बदलाव आया है।

इस योजना ने पूरे क्षेत्र में समावेशी विकास, आजीविका के अवसर और तकनीकी परिवर्तन को सुनिश्चित करते हुए वैश्विक मत्स्य पालन में भारत की भूमिका को मजबूत किया है।

पीएमएमएसवाई अपनी रिकॉर्ड उपलब्धियों और दूरदर्शी पहलों के साथ स्थायी और बेहतर भविष्य की ओर नीली क्रांति को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया जारी रखे हुए है।

Point of View

मैं मानता हूँ कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना ने भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह योजना न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रही है, बल्कि यह सामाजिक समावेश और पर्यावरण की सुरक्षा को भी सुनिश्चित कर रही है।
NationPress
10/09/2025

Frequently Asked Questions

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना क्या है?
यह योजना मत्स्य पालन क्षेत्र को आर्थिक रूप से सशक्त और समावेशी बनाने के लिए शुरू की गई है।
इस योजना का प्रारंभ कब हुआ था?
इस योजना की शुरुआत 10 सितंबर 2020 को हुई थी।
इस योजना के तहत कितने निवेश की स्वीकृति दी गई है?
इस योजना के तहत कुल 20,050 करोड़ रुपए के निवेश की स्वीकृति दी गई है।
क्या यह योजना जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करती है?
हाँ, यह योजना तटों पर जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन बढ़ाने में मदद करती है।
इस योजना के तहत कितने रोजगार के अवसर बने हैं?
इस योजना के तहत 58 लाख रोजगार के अवसर सृजित किए गए हैं।