क्या पंजाब निकाय चुनावों में फतेहगढ़ साहिब बैलेट विवाद पर शिअद ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा?
सारांश
Key Takeaways
- फतेहगढ़ साहिब में चुनावी विवाद उभरा है।
- शिअद ने आम आदमी पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
- राज्य चुनाव आयोग से स्वतंत्र जांच की मांग की गई है।
- मतदान 13-14 दिसंबर को हो रहा है।
- इस विवाद ने चुनावी माहौल को प्रभावित किया है।
चंडीगढ़/फतेहगढ़ साहिब, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पंजाब में चल रहे जिला परिषद और पंचायत समिति चुनावों के मध्य फतेहगढ़ साहिब निर्वाचन क्षेत्र से एक विवादित मुद्दा उभरा है। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने राज्य चुनाव आयुक्त को एक औपचारिक पत्र लिखकर आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार अमरिंदर सिंह माडोफल पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
पत्र में यह दावा किया गया है कि माडोफल ने मतदान आरंभ होने से लगभग 10 घंटे पहले सोशल मीडिया पर असली मतपत्रों (बैलेट पेपर) की तस्वीरें साझा कीं, जिनमें सीरियल नंबर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे थे। यह घटना मतदान के आरंभ होने के केवल 51 मिनट बाद सामने आई।
शिअद के पत्र में इस कार्रवाई को आदर्श आचार संहिता (मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट) का गंभीर उल्लंघन बताया गया है। पत्र में कई सवाल उठाए गए हैं, जिनमें एक उम्मीदवार को मतदान से पूर्व असली बैलेट पेपर कैसे प्राप्त हुए? ये बैलेट कहां से आए और किसकी अनुमति से? क्या मतपत्रों की सुरक्षा और गोपनीयता से समझौता हुआ, जो चुनाव अधिकारियों के कड़े नियंत्रण में होना चाहिए?
शिअद ने इसे चुनावी सामग्री के दुरुपयोग, मतदाताओं को प्रभावित करने और चुनाव प्रक्रिया की पवित्रता पर हमला करार दिया है। पत्र में चुनाव कानूनों के उल्लंघन का भी जिक्र है, जिसमें बैलेट की कस्टडी चेन का टूटना और अनधिकृत हैंडलिंग शामिल है। इसके अलावा, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के सीडब्ल्यूपी (पीआईएल) नंबर 358/2025 में जारी निर्देशों का हवाला देते हुए कहा गया कि ऐसी घटना न्यायिक आदेशों की अवमानना है।
शिअद ने राज्य चुनाव आयोग से तात्कालिक कार्रवाई करते हुए घटना की स्वतंत्र, गहन और पारदर्शी जांच की मांग की है।
पंजाब में यह चुनाव बैलेट पेपर के माध्यम से हो रहे हैं, जो 13-14 दिसंबर को मतदान के साथ चल रहे हैं। फतेहगढ़ साहिब सहित अनेक जिलों में हजारों उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें आप, कांग्रेस, शिअद, भाजपा और निर्दलीय शामिल हैं। इस विवाद ने चुनावी माहौल को उत्तेजित कर दिया है। शिअद ने चेतावनी दी है कि ऐसी चूक लोकतंत्र पर हमला है और आयोग की चुप्पी जनविश्वास को क्षति पहुंचाएगी।