क्या पुरी में रथ यात्रा का दूसरा दिन भक्तों के लिए खास है?

सारांश
Key Takeaways
- भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा 28 जून को शुरू हुई।
- भक्तों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।
- सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन की विशेष व्यवस्था की गई है।
- गुंडिचा मंदिर भगवान की मौसी का घर माना जाता है।
- रथ यात्रा एक धार्मिक और सांस्कृतिक महोत्सव है।
पुरी, 28 जून (राष्ट्र प्रेस)। विश्वप्रसिद्ध धार्मिक नगरी पुरी में जगन्नाथ महोत्सव की रथ यात्रा का दूसरा दिन है। यह रथ यात्रा अपने अगले पड़ाव की ओर बढ़ चुकी है। शनिवार को भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के तीन रथों को खींचने का कार्य परंपरा के अनुसार आज सुबह 9:30 बजे फिर से आरंभ हुआ।
इस रथ यात्रा की शुरुआत शुक्रवार शाम 4 बजे हुई थी। पहले भगवान बलभद्र का रथ खींचा गया, उसके बाद सुभद्रा और जगन्नाथ के रथ खींचे गए। इस दौरान भक्तों की भारी भीड़ देखी गई और कुछ श्रद्धालुओं की तबीयत बिगड़ने के कारण रथ यात्रा को थोड़ी देर के लिए रोकना पड़ा। अगले दिन, यानी शनिवार को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा को पुनः आगे बढ़ाया जा रहा है।
यह रथ यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था और भक्ति का महासागर भी है। लाखों लोग इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं, जब भगवान स्वयं अपने भक्तों के बीच आते हैं। इस बार भक्तों की संख्या में पहले साल की तुलना में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है।
पूरा शहर भगवान जगन्नाथ की भक्ति में डूबा हुआ है। रथ खींचने के दूसरे दिन का हिस्सा बनने के लिए हजारों लोग पुरी में पहले से ही उपस्थित हैं। कार्यक्रम की सुचारू व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन की व्यवस्था की गई है। श्रद्धालुओं में उत्साह चरम पर है, और चारों ओर "जय जगन्नाथ" के उद्घोष गूंज रहे हैं।
भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा पुरी स्थित गुंडिचा मंदिर की ओर बढ़ रही है, जिसे भगवान की मौसी का घर माना जाता है। हर साल भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथों को जगन्नाथ मंदिर से लगभग 2.5 किलोमीटर दूर गुंडिचा मंदिर तक खींचकर लाया जाता है। यहाँ भगवान एक हफ्ते के लिए ठहरते हैं। इस जश्न के साथ भगवान वापस जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह लौटते हैं।