क्या पूर्णिया की सभा में महिलाओं की भीड़ ने प्रशांत किशोर को नहीं पहचाना?

सारांश
Key Takeaways
- पूर्णिया में महिलाओं की संख्या का बढ़ना राजनीतिक जागरूकता का संकेत है।
- महिलाएं नेताओं के नामों को पहचानने में असमर्थ हैं, जो शिक्षा की कमी को दर्शाता है।
- जनसुराज पार्टी द्वारा बदलाव की कोशिशें चल रही हैं।
- प्रशांत किशोर का भाषण प्रभावी रहा, लेकिन पहचान की कमी चिंता का विषय है।
- बिहार में पिछले 35 वर्षों की राजनीतिक स्थिति पर सवाल उठता है।
पूर्णिया, 21 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। जनसुराज पार्टी द्वारा बिहार के पूर्णिया जिले के कसबा विधानसभा के गढबनैली में आयोजित बिहार बदलाव रैली में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। इस जनसभा में महिलाओं की उपस्थिति अत्यधिक रही, जो राजनीतिक दृष्टिकोण से एक सकारात्मक संकेत है। लेकिन इस उत्साहपूर्ण भागीदारी के बीच एक चौंकाने वाला तथ्य भी सामने आया। अधिकांश लोगों को यह जानकारी नहीं थी कि मंच पर भाषण देने वाले नेता कौन थे।
रैली में उपस्थित महिलाओं से जब राष्ट्र प्रेस टीम ने बातचीत की, तो पता चला कि उन्होंने भाषण तो सुना, लेकिन उन्हें नेताओं के नामों की जानकारी नहीं थी। कई महिलाओं ने कहा कि उन्होंने प्रशांत किशोर का नाम सुना है, लेकिन वे उन्हें पहचान नहीं पाईं। कुछ ने कहा कि जो बोले वो अच्छा बोले, लेकिन पार्टी का नाम भी नहीं पता।
बीबी रबीना खातून, पूर्णिया की एक महिला, ने कहा, "हमने तो भाषण सुन लिया लेकिन नेता का नाम नहीं पता।"
इसी प्रकार हीना खातून (कसबा) ने भी यही बात दोहराई, "हां, भाषण तो अच्छा था, लेकिन किसका था ये नहीं मालूम। जनसुराज पार्टी का नाम सुना है, लेकिन नेता का नाम नहीं पता।"
मंच पर प्रशांत किशोर स्वयं मौजूद थे और उन्होंने ही भाषण दिया था, लेकिन यह जानकारी वहां मौजूद अधिकांश लोगों को नहीं थी। कुछ लोगों को पार्टी का नाम तो मालूम था, लेकिन प्रमुख नेता के नाम से वे अनभिज्ञ थे।
स्थानीय दुकानदार रतन ठाकुर और मो. इमाम से जब सवाल किया गया कि सभा में कौन बोल रहा था, तो वे भी न पार्टी का नाम बता सके और न ही नेता की पहचान कर सके।
हालांकि, कुछ महिलाओं ने जनसुराज और प्रशांत किशोर का नाम जरूर लिया, लेकिन जब यह पूछा गया कि आज यहां कौन भाषण देने आया है, तो वे भी भ्रमित नजर आईं।
इस स्थिति पर जनसुराज पार्टी की महिला नेता लक्ष्मी कुमारी ने कहा, "यह अशिक्षा का ही प्रभाव है। ये महिलाएं प्रशांत किशोर को नाम से जानती हैं, लेकिन पहचानती नहीं। यही तो हमारी लड़ाई है। पिछले 35 वर्षों में बिहार को क्या मिला? अब इस स्थिति को बदलने के लिए जनसुराज पार्टी सामने आई है।"