क्या पूर्वोत्तानासन से पीठ दर्द और तनाव से मुक्ति पाई जा सकती है?
सारांश
Key Takeaways
- शारीरिक मजबूती: पूर्वोत्तानासन मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
- तनाव में कमी: यह मन को शांत करता है।
- लचीलापन: रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बनाए रखता है।
- ऊर्जा का संचार: शरीर में ऊर्जा का संचार करता है।
- कमर दर्द में राहत: नियमित अभ्यास से आराम मिलता है।
नई दिल्ली, 17 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। योग हमारी प्राचीन संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। इनमें से कई योगासन हमारे शरीर को सशक्त बनाने के साथ-साथ मानसिक शांति और ऊर्जा भी प्रदान करते हैं। उनमें से एक है पूर्वोत्तानासन। इसका नियमित अभ्यास करने से शरीर में लचीलापन और मांसपेशियों में मजबूती आती है।
आयुष मंत्रालय ने पूर्वोत्तानासन को एक महत्वपूर्ण आसन की श्रेणी में रखा है। इसके अभ्यास से हाथों, पैरों और पीठ की मांसपेशियाँ मजबूत बनी रहती हैं। इसके अलावा, रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बरकरार रहता है और शरीर में ऊर्जा का संचार होता है।
पूर्वोत्तानासन करने के लिए सबसे पहले एक योगा मैट बिछायें। फिर, दंडासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अपनी हथेलियों को कूल्हों के पीछे जमीन पर रखें। अपनी सुविधा के अनुसार, सिर को पीछे की ओर झुकाएं। सांस लेते हुए, कूल्हों को जमीन से ऊपर उठाएं और शरीर को सीधी रेखा में लाने का प्रयास करें। अपने पैरों के तलुओं को जमीन पर रखें और घुटनों को सीधा रखें। सिर को पीछे की ओर झुकाएं। अपनी क्षमता के अनुसार इसे कुछ देर करें और फिर सांस छोड़ते हुए सामान्य अवस्था में लौट आएं।
इसका नियमित अभ्यास करने से पीठ दर्द और सिरदर्द में राहत मिलती है। इसके साथ ही, कमर दर्द में भी आराम मिलता है। रक्त संचार में सुधार के कारण सिरदर्द में कमी आती है।
आयुर्वेद के अनुसार, यह शरीर में लचीलापन बढ़ाने में मदद करता है। यह मांसपेशियों में लचीलापन लाता है और ऊर्जा का संचार करता है, जिससे दिमाग भी तेज़ चलता है।
यह घबराहट और थकान को कम करने में मदद करता है, मन को शांत करता है और शरीर में ऊर्जा का संचार करता है। आंतों और पेट के अंगों की मालिश करके उन्हें फैलाने में मदद करता है।
इस आसन के नियमित अभ्यास से कई फायदे होते हैं, लेकिन यदि आपकी कलाई, गर्दन या पीठ में कोई चोट या दर्द है, तो इसे करने से बचें या डॉक्टर से सलाह लें।